जीवन में सुख

March 30, 2020

एक व्यक्ति था। उसके पास नौकरी, घर-परिवार, रुपया-पैसा, रिश्तेदार और बच्चे, सभी कुछ था। कहने का सार यह है कि उस व्यक्ति के पास किसी चीज की कोई कमी नहीं थी।

अब जीवन है तो कुछ परेशानियां भी थीं उसके जीवन में, जिनसे हर पल वह जूझता ही रहता था। वह किसी भी तरह अपनी परेशानियों से मुक्ति चाहता था, कि जीवन में सुख-शांति से रह सके। एक बार किसी ने उसे बताया कि नगर की सीमा पर कोई बहुत बड़े संत ठहरे हुए हैं, जिनके पास हर समस्या और प्रश्न का हल है। इतना सुनते ही वह व्यक्ति भागा-भागा संत की कुटिया पर  पहुंचा। वहां भीड़ बहुत होने के कारण उसकी बारी आते-आते रात हो गई। उसने संत से पूछा, ‘बाबा, मेरे जीवन की परेशानियां कैसे खत्म होंगी? मैं भी सुख-शांति से जीवन जीना चाहता हूं’। संत ने कहा, ‘इसका उत्तर मैं कल सुबह दूंगा। तब तक तुम एक काम करो। मेरे साथ जो ऊंटों का रखवाला आया था, वो बीमार हो गया। तुम आज की रात ऊंटों की देखभाल का जिम्मा ले लो। जब ये सभी ऊंट सो जाएं, तब तुम भी सो लेना’। सुबह वह व्यक्ति संत के पास पहुंचा और कहने लगा, ‘मैं तो रात भर जगा रहा, सो ही नहीं पाया। कभी कोई ऊंट खड़ा हो जाता, तो कभी कोई। एक को बिठाने का प्रयास करता  तो दूसरा खड़ा हो जाता।

कई ऊंट तो बैठना ही नहीं चाहते तो कई ऊंट थोड़ी देर में अपने आप बैठ जाते। कुछ ऊंटों ने तो बैठने में बहुत ही समय लिया। मैं तो सारी रात भाग-दौड़ ही करता रहा’। संत ने मुस्कुराहट के साथ कहा, ‘यही तुम्हारे कल के प्रश्न का उत्तर है। कल पूरी रात का घटनाक्रम तुम्हारा जीवन है। अगर ऊंटों को परेशानियां मान लिया जाए तो समझना आसान होगा कि जीवन में कभी भी किसी भी क्षण सारी परेशानियां खत्म नहीं हो सकतीं। कुछ-ना-कुछ हमेशा लगा ही रहेगा।

लेकिन इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि हम जीवन का आनंद ही ना लें। हमें समस्याओं के बीच रहते हुए भी सुख के पल खोजने होंगे’। संत ने आगे कहा, ‘अगर तुम्हारे जीवन में समस्याओं का तांता लगा हुआ है, तो उन्हें सुलझाने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन हर पल उनके पीछे ही नहीं भागना चाहिए। ऊंटों के व्यवहार से तुम जान गए होगे कि कुछ समस्याएं कोशिशों से खत्म हो जाती हैं, तो कुछ अपने आप सुलझ जाती हैं। लेकिन इस बीच कुछ नई समस्याएं भी जन्म लेंगी, जिनका सामना  तुम्हें करना ही पड़ेगा और इस तरह जीवन चलता रहेगा’।




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