टीबी की दवा रोज लेने की व्यवस्था लागू

November 1, 2017

देश में संशोधित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के तहत ‘ट्यूबरकुलोसिस’ (तपेदिक) के उपचार के लिए रोजाना दवा वाली व्यवस्था मंगलवार को सभी राज्यों में लागू हो गई.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने नई उपचार नीति को लागू करने की तैयारियों को जानने के लिए सोमवार को सभी प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों और मिशन निदेशकों के साथ बैठक की. स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यों ने दवा खरीद से संबंधित सभी साजो-सामान और प्रशिक्षणों को पूरा कर लिया है.

उन्होंने कहा कि कुछ राज्य पहले ही इसे लागू कर चुके हैं. मंत्रालय के अधिकारियों ने नई उपचार नीति पर हाल ही में प्रधानमंत्री को भी विस्तार से जानकारी दी थी. दैनिक दवा नियमों के क्रि यान्वयन के साथ ‘ट्यूबरकुलोसिस’ के उपचार में बड़ा बदलाव आएगा.

अधिकारी ने बताया कि रोगी को सप्ताह में तीन बार के बजाय रोजाना आधार पर एक ही गोली में तीन या चार दवाएं दी जाएंगी. उन्होंने कहा, क्षयरोग से पीड़ित बच्चों को भी अब और कड़वी गोली नहीं लेनी होगी और इनकी जगह वे आसानी से घुलने वाली और फ्लेवर वाली दवा ले सकते हैं.

‘आरएनटीसीपी’ के तहत 1997 से रोगियों को सप्ताह में तीन बार दवा देने की व्यवस्था चल रही थी. अधिकारी ने कहा, रोजाना दवा लेने की व्यवस्था अधिक प्रभावशाली हो सकती है जहां रोग की पुनरावृत्ति की आशंका कम से कम हो जाती है.

‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने 2010 में अपने टीबी प्रबंधन दिशानिर्देशों में बदलाव किया था और ‘आरएनटीसीपी’ के तहत दैनिक दवा लेने की व्यवस्था लागू करने की सिफारिश की थी.

‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा सोमवार को जारी एक नई वैिक रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल दुनियाभर में टीबी के आए 1.04 करोड़ नए मामलों में से 64 फीसदी मामलों वाले सात देशों में भारत का नाम सबसे ऊपर रहा. इसी तरह 2016 में दर्ज मल्टीडग-रजिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) के 4,90,000 मामलों में से करीब आधे केवल भारत, चीन और रूस में दर्ज किए गए. रिपोर्ट में कहा गया कि टीबी के मामलों का सामने नहीं आना और उनकी पहचान नहीं होना चुनौती बना हुआ है.


भाषा

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