कोविड-19 संक्रमण को हमने आंधी नहीं बनने दिया: डॉ. हर्षवर्धन

March 30, 2020

विश्व आज कोरोना वायरस के संक्रमण से उत्पन्न विषम व खतरनाक परिस्थितियों से गुजर रहा है। विश्व के तमाम देश सिर्फ और सिर्फ कोरोना संक्रमण को रोकने में जुटे हैं।

प्रतिदिन संक्रमितों के बढ़ने के आंकड़े आ रहे हैं तो बढ़ती मौतों के आंकड़े दिल दहलाने वाले हैं। भारत ने भी अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। देश में राष्ट्रीय स्तर पर लॉकडाउन घोषित किया गया है। सरकार किस तरह देश के नागरिकों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था कर चुकी है। इसके अलावा आम या खास हर नागरिक को स्वस्थ जीवन देने के लिए सरकार की योजनाएं क्या हैं और क्या है देश की स्वास्थ्य नीति। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से सहारा न्यूज नेटवर्क के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं एडिटर इन चीफ उपेन्द्र राय ने कोरोना को लेकर आमजन के मन में उठने वाली जिज्ञासाओं पर लंबी चर्चा की। प्रस्तुत है विस्तृत बातचीत:

►कोरोना संक्रमण को कंट्रोल करने के लिए आपकी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उसकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है।  डब्ल्यूएचओ ने भी आपकी ओर से किए गए प्रयासों की प्रशंसा की है। सहारा न्यूज नेटवर्क की ओर से आपको ढेरों शुभकामनाएं।
हमारी सरकार के प्रयासों को लेकर आपकी शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदशर्न में हमने कोविड-19 की शुरूआत के समय से जो कदम उठाए वे आवश्यक थे और इनके सही परिणाम मिलने अपेक्षित थे। हमने देश की जनता के हित में प्रयास किए और ऐसा करना हमारा कर्तव्य था।

►कहा ये जा रहा है कि भारत सरकार ने कोरोना को काबू में करने के लिए जो फूलप्रूफ स्ट्रेटजी अपनाई वो दुनिया का कोई दूसरा देश नहीं कर पाया।
हम अपने प्रयासों और स्ट्रेटजी की तुलना अन्य देशों से नहीं करना चाहते । हमने उभरती स्थिति को देखते हुए समयानुकूल निर्णय लिए हैं, इन निर्णयों के कार्यान्वयन पर पैनी नजर रखी है और संक्रमण के बारे में लोगों को पूरी तरह जागरूक बनाया है व बचाव के उपाय समझाए हैं। इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए अपनी सारी शक्ति लगा दी है।
हमारे सार्थक प्रयासों की प्रामाणिकता इन तथ्यों से उजागर होती है कि चीन ने 7 जनवरी को अपने देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की विश्व को जानकारी दी थी और हमने उससे अगले दिन 8 जनवरी 2020 को अपनी तैयारियां प्रारंभ कर दी थी । हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगंठन ने 30 जनवरी 2020 को कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय चिंता की आपात स्थिति घोषित की थी ।

►देश के मेडिकल कॉलेजों व सरकारी लैब के अलावा मान्यता प्राप्त निजी लैब में कोरोना वायरस की टेस्टिंग सुविधा उपलब्ध है। फिलहाल 50 से ज्यादा सरकारी लैब्स में ये सुविधा है, क्या इसे और भी विस्तार देने की जरूरत है?
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के अंतर्गत भारतीय विषाणु विज्ञान संस्थान की देखरेख में 121 लैबों में जांच की जा रही हैं। इनमें प्रतिदिन जांच की क्षमता 12 हजार नमूनों की है। 44 निजी प्रयोगशालाओं को जांच के लिए पंजीकृत किया गया है। नमूनों के संग्रहण के लिए लगभग 16 हजार केंद्र हैं। 26 मार्च तक 27 हजार नमूनों की जांच कर ली गई थी। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे ने किट बनाने वाले 15 निर्माताओं में से 3 को पीसीआर आधारित किट और 1 को एनटीबॉडी डिटेक्शन किट बनाने की मंजूरी दी है। यदि और आवश्यक होगा तो प्रयोगशालाओं की संख्या अधिक की जाएगी। हमारा उद्देश्य भारत के हर कोने में रहने वाले नागरिकों की कोविड-19 के दुष्प्रभावों से रक्षा करना है।

►अलग-अलग राज्यों में क्वारेंटीन सेंटर स्थापित किए गए हैं..क्या इसकी निगरानी और संचालन के लिए कोई यूनीफाइड कमांड या कंट्रोल सिस्टम विकसित किया गया है?
क्वारेंटीन केंद्रों की कार्यप्रणाली श्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं के अनुसार संचालित की जा रही है। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारी निगरानी रख रहे हैं। इसी कारण रोगी स्वस्थ होकर अपने घरों को जा रहे हैं। मैं समझता हूं कि वर्तमान व्यवस्था सुचारू और सक्रिय है। संबंधित राज्यों ने भी क्वारेंटीन केंद्रों के प्रबंधन और रखरखाव में उल्लेखनीय सहयोग दिया है ।

►तमाम मीडिया फ्लेटफॉर्म से सरकार लोगों को जागरूक कर रही है। कोरोना के लक्षण भी बताए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मरीजों की पहचान के लिए अभी भी कोई ठोस इंतजाम नहीं होने की बात भी सामने आ रही है।
कोविड-19 के प्रति जागरूकता विकसित करने का काम 8 जनवरी, 2020 से ही शुरू हो गया था। इसके लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से पहले दिन से ही जागरूकता और बचाव की जानकारी दी जा रही है। आकाशवाणी और विभिन्न समाचार चैनलों पर जागरूकता कार्यक्रम प्रसारित किए जाने के अलावा विज्ञापन के रूप में जिंगल और टेलीफोन में 13 भाषाओं में संदेश आदि भी प्रसारित किए जा रहे हैं। इन सब माध्यमों से प्रसारित-प्रचारित किया जा रहा जागरूकता और बचाव का संदेश देश के कोने-कोने में शहरी और ग्रामीण इलाकों में पहुंच रहा है। हमने नेपाल के साथ लगी सीमा पर स्थित गांवों में पंचायती राज मंत्रालय व राज्य सरकारों की मदद से 5 हजार से अधिक ग्राम सभाओं के माध्यम से बड़े पैमाने पर जागरूकता और बचाव के संदेश दिए हैं।

►ईरान समेत कोरोना प्रभावित देशों में अब भी कई भारतीय फंसे हुए हैं। इसे लेकर सरकार की क्या रणनीति है?
हमें देश में कोरोना वायरस के संक्रमित लोगों की चिंता थी, तो साथ में यह भी चिंता थी कि विदेशों में फंसे भारतीय नागरिकों को किस तरह वापस लाया जा सके। हमने कुल 2318 लोगों को विदेशों से निकाला, जिनमें से 48 विदेशी हैं। हमें चीन के वुहान से 766 लोगों, जापान के तट पर डायमंड क्वीन क्रूज जहाज से 124 लोगों, ईरान से 1232 लोगों, इटली से 83 और मलयेशिया से 113 लोगों को भारत सुरक्षित लाने में सफलता मिली। इन आंकड़ों में क्वारंटीन किए गए लोग भी शामिल हैं इसके लिए हमें राजनयिक स्तर पर लगातार प्रयास करने पड़े। भारत लाए गए लोगों में अन्य देशों के नागरिक भी हैं। हमने ईरान में अपनी एक प्रतिष्ठित प्रयोगशाला स्थापित की ताकि वहां भारतीय लोगों की जांच की जा सके। मानवीय सहायता के रूप में 50 टन दवाएं और उपचार सामग्री उपहार के रूप में चीन को भेजी। हमारे प्रयासों से जितने भारतीय लौटकर देश के विभिन्न स्थानों पर पहुंचे, उनके क्वारंटीन की विशेष व्यवस्था की गई और निश्चित समय के बाद उनके स्वस्थ होने पर उन्हें घर जाने दिया गया। यह भी एक बहुत बड़ा दायित्व था, जिसे हमारी सरकार ने बखूबी निभाया।

►कोरोना को हराने की मुहिम में जिस हौसले के साथ डाक्टर डटे हुए हैं, उसकी आपने और खुद प्रधानमंत्री ने तारीफ की है। कोरोना को मात देने के लिए देश में ट्रेंड डाक्टरों की कमी की बात भी हो रही है।
हमारे डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मिंयों के कोविड-19 पर काबू पाने के उल्लेखनीय प्रयासों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मुक्त कंठ से भरपूर प्रशंसा की है। मोदी जी की अपील पर रविवार 22 मार्च, 2020 को देश के करोड़ों लोगों ने शाम  पांच बजे ताली-थाली, शंख बजाकर कोरोना योद्धा डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मिंयों के समर्पित और ईमानदार प्रयासों के प्रति एकजुट होकर आभार व्यक्त किया। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि हमारे डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मिंयों की प्रतिभा, निष्ठा और योग्यता अतुलनीय है। उन्होंने कोरोना वायरस की स्थिति का मुकाबला करते हुए इस संक्रमण को आंधी नहीं बनने दिया। इसलिए देश के करोड़ों लोग सुरक्षित हैं। समूचे देश को उन पर नाज है। हमारे सारे डाक्टर और स्वास्थ्यकर्मी पूरी तरह प्रशिक्षित हैं और उनकी संख्या पर्याप्त है। भविष्य में यदि और डाक्टरों की आवश्यकता हुई तो उनकी नियुक्ति पर तेजी से कार्रवाई की जाएगी।

►प्रधानमंत्री ने कोरोना से लड़ने के लिए सार्क देशों को एकजुट रखने की पहल की है। दुनिया के बाकी देशों की ओर से भी कोरोना को लेकर कोई कॉमन पॉलिसी पर पहल हुई है?
हमें विदेशों तथा विशेष रूप से सार्क के अपने पड़ोसी देशों में कोरोना वायरस से होने वाले नुकसान की भी चिंता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सार्क देशों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया। उन्होंने इन देशों की जनता को विश्वास दिलाया कि भारत इस संकट में उनके साथ खड़ा है। मोदी जी ने सार्क देशों के लिए विशेष कोरोना वायरस राहत कोष के गठन की घोषणा की जिसका सभी सदस्य देशों ने स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने भारत की ओर से एक करोड़ अमेरिकी डॉलर के अंशदान का भी ऐलान किया। इससे विश्व के कुछ कम सुविधा संपन्न देशों के प्रति भारत की सहृदयता स्पष्ट होती है। क्योंकि प्रधानमंत्री समूचे विश्व को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ मानते हैं और उनका दृष्टिकोण सदैव मानवीय रहा है।
हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी सदैव सजग और सक्रिय रहते हैं। जहां तक विश्व के अन्य देशों के साथ मिलकर कोरोना वायरस के खिलाफ साझा प्रयास करने का प्रश्न है, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री जी विश्व के अनेक देशों के साथ विचार-विमर्श करते हैं और उन्हें हमारे डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मिंयों के परिश्रम से मिल रहे परिणामों की जानकारी देते हैं। ऐसा लगता है कि अन्य देश भारत के प्रयासों से स्पष्ट संकेत लेकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

►जन औषधि केंद्रों और निजी मेडिकल स्टोर्स में मास्क और सेनिटाइजर नहीं मिल रहे हैं। कई जगह ज्यादा कीमत और नकली मास्क की भी शिकायतें सामने आई हैं।
यह बार-बार स्पष्ट किया गया है कि मास्क लगाना आवश्यक नहीं है। संक्रमित व्यक्ति के लिए ऐसा करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि उससे संक्रमण फैलता है। जहां तक कालाबाजारी की बात है उपभोक्ता कार्य मंत्रालय ने मास्क और सेनिटाइजर के मूल्य तय कर दिए हैं और राज्य सरकारें कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं। ऐसी कार्रवाई से निजी मेडिकल स्टोर्स में भय उत्पन्न होगा और मास्क तथा सेनिटाइजर की पर्याप्त उपलब्धता हो जाएगी। जहां तक जन औषधि केंद्रों में मास्क और सेनिटाइजर की कम उपलब्धता की बात है, मैं आपको आश्वस्त करना चाहूंगा कि सरकार अपने अंतर्गत कार्यरत औषधि केंद्रों में पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के भरसक प्रयास कर रही है।

►जन औषधि केंद्रों के जरिए सस्ती दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, लेकिन लोगों का कहना है इन केंद्रों में वो दवाइयां नहीं मिलतीं, जो डाक्टर्स अमूमन मरीज को लिखते हैं।
यह कहना सही नहीं है कि डाक्टर जो दवाएं लिखते हैं, वे जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध नहीं हैं। सरकार ने हर रोग की दवाओं की सूची तय की है और सूची में शामिल सभी दवाएं जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध रहती हैं। यदि कोई दवा कम आपूर्ति के कारण उपलब्ध नहीं होती, तो उसकी आपूर्ति उसी दिन या अगले दिन सुनिश्चित की जाती है। इन केंद्रों में मिल रही दवाओं की कीमत बाजार मूल्य से 90 प्रतिशत तक कम होती है। दवाएं आसानी से सभी रोगियों को मिल रही हैं। आवश्यक दवाओं की भी कोई कमी नहीं है। दवाओं की गुणवत्ता उत्तम है क्योंकि सरकार मानकों का पूरा ध्यान रखती है।

►क्या आपको लगता है कि निजी फार्मा कंपनियों के आगे सरकारी जन औषधि केंद्र गरीबों के कल्याण के मकसद में कामयाब हो पाएंगे। निजी फार्मा कंपनियों पर डाक्टरों को प्रभावित करने के आरोप भी लगते रहे हैं। इस बारे में सरकार की क्या पॉलिसी है?
मार्च, 2020 में देश में 6,222 जन औषधि केंद्र काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के अंतर्गत 900 से अधिक दवाइयां और 154 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं। जन औषधि दवाइयां भारत के डब्ल्यूएचओ-जीएमपी प्रमाणित निर्माताओं और केंद्रीय औषध सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयों से खरीदी जाती हैं। दवाइयों का परीक्षण राष्ट्रीय परीक्षण और अंश शोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में किया जाता है। गुणवत्ता मापदंडों के निर्धारित मानकों की जांच के बाद दवाओं को बिक्री के लिए जारी किया जाता है।

सरकार किसी भी प्रकार की शिकायत और आरोपों की कायम व्यवस्था के अंतर्गत जांच करती है। सरकार ने यूनिफार्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसिस (यूसीपीएमपी) को लागू करने की समीक्षा के लिए फार्मास्युटिकल और मेडिकल डिवाइस एसोसिएशन के साथ बैठकें की हैं। लोगों को कम से कम दाम पर दवाएं और चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री मोदी जी के संकल्प से लाखों गरीबों को कम कीमत पर उपचार कराने का अवसर मिला है।

►आयुष्मान भारत योजना को दुनिया की बेहतरीन हेल्थ स्कीम माना जाता है.अमेरिका जैसे देशों में हेल्थ सुविधाएं स्टेट स्पॉर्न्‍सड होती है, क्या आयुष्मान भारत योजना के लाभर्थियों का दायरा बढ़ाने की कोई योजना है?
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना देश के 50 करोड़ से अधिक निर्धन और कमजोर वर्ग के लोगों को निशुल्क उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का काम कर रही है। इसके अंतर्गत देशभर में लगभग 10 करोड़ 75 लाख परिवार प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए की स्वास्थ्य कवरेज प्राप्त कर रहे हैं। कई राज्य सरकारों ने इस योजना का अपने स्तर पर विस्तार किया है और इन राज्यों में निर्धारित संख्या से अधिक लोग निशुल्क उन्नत उपचार का लाभ ले रहे हैं। इस तरह, 20 करोड़ और लोग इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। प्रतिवर्ष इस योजना के लाभार्थियों की संख्या बढ़ रही है, अत: स्वत: इसका दायरा बढ़ता जा रहा है।
इस योजना के अलावा, कर्मचारी राज्य बीमा योजना, केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना, रेलवे कर्मचारी योजना, सशस्त्र बल योजना और निजी बीमा के अंतर्गत भी लगभग 10 से 15 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण इन सभी योजनाओं को एकीकृत कर सार्थक बनाने की संभावना पर विचार कर रहा है। हाल ही में दिल्ली सरकार ने भी आयुष्मान भारत योजना को दिल्ली में लागू करने के अपने निर्णय की घोषणा की है। हमारा व्यापक लक्ष्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल की ओर आगे बढ़ना है।

►केजरीवाल सरकार पर दिल्ली के लोगों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं लेने देने के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली सरकार कहती है कि चाहे गरीब हो या अमीर हम सभी का मुफ्त में इलाज कराते हैं इसलिए आयुष्मान योजना की जरूरत नहीं है। इस पर आप क्या कहेंगे?
यह सत्य है कि दिल्ली में आयुष्मान योजना लागू नहीं किए जाने से लाखों लोग निशुल्क उन्नत उपचार से वंचित हुए हैं। विश्व में निर्धन और जरूरतमंद लोगों के परिवारों समेत सभी को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की भारत की आयुष्मान योजना विश्व में सबसे बड़ी योजना है। इसके अंतर्गत 19 हजार, 962 अस्पताल पंजीकृत हैं, 93 लाख 75 हजार 137 रोगियों को दाखिल किया गया और 12 करोड़ 44 लाख, 78 हजार 817 ई-कार्ड जारी किए गए हैं। इसके अंतर्गत प्रत्येक परिवार को एक वर्ष में 5 लाख रुपए तक के उपचार से स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है। वे सर्वोत्तम सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में उपचार करा सकते हैं और शल्य चिकित्सा करवा सकते हैं। इस योजना से लाखों लोग लाभान्वित हुए हैं।
दिल्ली सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना नहीं लागू करने के निर्णय के पीछे शायद कुछ राजनीतिक मजबूरियां रही होंगी। हमें प्रसन्नता इस बात की है कि आखिरकार दिल्ली सरकार ने जन हित में आयुष्मान भारत योजना में दिल्ली को शामिल करने का फैसला किया है। इससे दिल्लीवासियों को विसनीय और उत्तम उपचार कराने का अवसर मिलेगा।

►केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की सीमा में हुई सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को निजी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज कराने की जो योजना शुरू की है, इस पर आप क्या कहेंगे?
सरकार की कोई भी योजना सोच-समझकर बनाई जाती है। आशा है कि दिल्ली सरकार ने भी यह योजना दुर्घटनाग्रस्त लोगों को तत्काल उपचार और देखभाल के उद्देश्य से बनाई होगी। मैं किसी योजना पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा।

►सुविधा सेनिटरी पैड की योजना कितनी कारगर साबित हुई है। कैसा रिस्पांस मिल रहा है?
सुविधा सेनिटरी पैड योजना बहुत कारगर साबित हुई है। वर्ष 2018-19 में देशभर में 58 हजार 840 पैक बिके जिनमें 2 लाख 35 हजार 360 सेनिटरी पैड थे । इस योजना को व्यापक रूप पर प्रचारित करने के हमारे प्रयास सफल हो रहे हैं जिससे इनकी मांग निरंतर बढ़ती जा रही है जिसकी आपूर्ति करने के लिए सरकार वचनबद्ध है ।

►आम बजट में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए 3.75 प्रतिशत की मामूली वृद्धि की गई है। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए बड़े फंड की जरूरत है।
केंद्र सरकार के आम बजट में सोच-समझकर वृद्धि की गई है। बजट में बढ़ाई गई राशि में किसी भी समय आवश्यकतानुसार बढ़ोतरी की जा सकती है। जहां तक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को बेहतर बनाने का काम है, सरकार इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। इसके अलावा, चिकित्सा अनुसंधान और चिकित्सा शिक्षा पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। सरकार देश के हर राज्य में दिल्ली के एम्स जैसा उन्नत एम्स स्थापित कर रही है। मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि 2014 में मोदी सरकार आने से पहले केवल 6 नए एम्स स्थापित करने की घोषणा हुई थी । हमारी सरकार ने केवल उनका कार्यान्वयन ही नहीं किया बल्कि 15 नए एम्स की मंजूरी भी दी जो निमार्ण व कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों पर हैं। इसके अलावा हमारी केंद्रीय सरकार के द्वारा 35 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशिएलिटी ब्लॉक या ट्रॉमा केंद्र चालू किए गए हैं जिनमें अति आधुनिक उपकरणों को उनकी आवश्यकतानुसार मुहैया कराया गया है। प्रधानमंत्री जी का स्पष्ट निर्देश है कि स्वास्थ्य के लिए आवश्यक राशि की तुरंत स्वीकृति दी जाए। स्वस्थ भारत से भावी पीढ़ियां स्वस्थ और सक्रिय बनेंगी और उनका भविष्य उज्ज्वल होगा।

►उत्तरप्रदेश समेत कुछ राज्यों में कई नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना हो रही है, यूपी में तीन साल में 30 मेडिकल कॉलेज बनाने बात है। क्या ये उम्मीद की जाए कि देश में मरीजों की तुलना में डाक्टर्स के कम अनुपात की भरपाई जल्द पूरी हो सकेगी।
उत्तर प्रदेश में बिजनौर, कुशीनगर, सुल्तानपुर, गोंडा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, चंदौली, बुलंदशहर, सोनभद्र, पीलीभीत, औरैया, कानपुर देहात, कौशांबी और अमेठी में नए मेडिकल कॉलेज बनेंगे। इनके शुरू हो जाने से चिकित्सा स्नातकों की संख्या बढ़ेगी, चिकित्सा सेवा में सुधार आएगा और देश में अधिक से अधिक लोगों को उत्तम उपचार सुविधाए मिल सकेंगी।
इसके अलावा मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में केंद्रीय योजना के तहत 82 नए सरकारी मेडिकल कॉलेजों पर काम शुरू किया और मौजूदा कार्यकाल में 73 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की अनुमति दे दी है । इन पर काम शुरू हो गया है।
हमारी सरकार चिकित्सकों और रोगियों के अनुपात को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित अनुपात के अनुरूप बनाने के अद्वितीय प्रयास कर रही है। ये प्रयास जारी हैं और शीघ्र इस अनुपात में सराहनीय सुधार आएगा।


सहारा न्यूज ब्यूरो

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