क्रिस्टीना कोच बनी सबसे लंबे समय तक रहने वाली महिला अंतरिक्ष यात्री, 328 दिनों बाद कल लौटेंगी

February 5, 2020

अंतरिक्ष में सबसे लंबे समय तक रहने वाली महिला का रिकॉर्ड अपने नाम करने के बाद अमेरिकी की अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच गुरुवार को धरती पर लौटेंगी।

कोच 328 दिन तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरक्षि स्टेशन में रहने और विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों तथा मिशनों को अंजाम देने के बाद धरती पर वापस आ रही हैं। इससे पहले कोई भी महिला अंतरिक्ष यात्री इतने लंबे मिशन पर नहीं गयी हैं। पिछला रिकॉर्ड अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी विटसन के नाम था जो 2016-17 के दौरान स्टेशन कमांडर के रूप में 288 दिन तक अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में रही थीं।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि इस मिशन से वैज्ञानिकों को भविष्य के चंद्र एवं मंगल मिशनों के लिए महत्वपूर्ण डाटा मिले हैं।

कोच के साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की अंतरक्षि यात्री लूका परमितानो और रूस के अंतरिक्ष यात्री एलेक्जेंडर स्क्वोत्सरेव भी गुरुवार को धरती पर वापस लौटेंगे। यह कोच का पहला अंतरिक्ष मिशन था। अपने पहले ही मिशन में वह लगातार सबसे लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की सूची में स्कॉट केली के बाद दूसरे स्थान पर पहुँच गयी हैं जो 340 दिन तक लगातार अंतरिक्ष में रहे थे।

अंतरिक्ष में 328 दिन के अपने प्रवास के दौरान  कोच ने धरती के 5,248 चक्कर लगाते हुये 13.9 करोड़ किलोमीटर की  यात्रा की है। यह 291 बार चाँद पर पहुँचकर वापस आने जितनी दूरी है।  उन्होंने छह अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर निकलकर चहलकदमी की और इस दौरान खुले अंतरिक्ष में 42 घंटे 15 मिनट बिताये। अपने अंतिम स्पेसवॉक में वह जेसिका मीर के साथ बाहर निकली थीं। इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी स्पेसवॉक  में पूरी तरह महिलाओं का दल अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर गया हो।

अपने मिशन के दौरान कोच ने 210  अनुसंधानों में हिस्सा लिया जो नासा के आगामी चंद्र मिशन और मंगल पर मानव  को भेजने की तैयारियों में मददगार होंगे। उन्होंने कुछ अन्य प्रयोगों में हिस्सा लिया जिसमें लंबे मिशन में भारहीनता, अकेलेपन, विकिरण और तनाव के  मानव शरीर पर प्रभाव का अध्ययन शामिल है।

इसके अलावा ‘अंतरिक्ष यात्रा  के दौरान मेरुदंड की हड्डी और मांसपेशियों को होने वाली क्षति तथा इससे जुड़े जोखिम’ एक महत्वपूर्ण अध्ययन था जिसमें कोच ने हिस्सा लिया। उन्होंने  माइक्रोग्रेविटी क्रिस्टल के अनुसंधान में भी हिस्सा लिया जिसमें ट्यूमर के बढ़ने और कैंसर की अस्तित्व रक्षा के लिए जरूरी मेम्बरेन प्रोटीन को  क्रिस्टलाइज किया जाता है। धरती पर इस प्रोटीन के क्रिस्टलाइजेशन के परिणाम  संतोषजनक नहीं रहे हैं, लेकिन अंतरिक्ष में इसकी सफलता की संभावना ज्यादा  है। इस प्रयोग की सफलता से भविष्य में कैंसर के प्रभावशाली इलाज खोजे जा  सकते हैं जिसमें साइड अफेक्ट भी कम हों।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य से जुड़े प्रयोग और अध्ययन शुरुआती दिनों से ही होते रहे हैं, लेकिन अब इन प्रयोगों की अवधि बढ़ाकर उनके प्रभाव का आकलन किया जा रहा है।


वार्ता
नई दिल्ली

News In Pics