दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) को परिसर की सफाई व्यवस्था से संतुष्ट होने पर सितंबर में हुए दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के चुनावों की मतगणना शुरू करने की अनुमति दे दी है।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि परिसर साफ होने की संतुष्टि होने व विरूपित संपत्ति के रंग-रोगन होने पर डीयू 26 नवंबर या उससे पहले मतगणना प्रक्रिया शुरू कर दे।
पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करना उम्मीदवारों और मौजूदा छात्रों की जिम्मेदारी है कि अगला बैच अच्छी और साफ-सुथरी स्थिति में डीयू के बुनियादी ढांचे का उपयोग करे। मुख्य चुनाव अधिकारी ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि प्रभावित दलों के राजस्व के नुकसान का आंकलन करने उसकी भरपाई करने और दोषी उम्मीदवारों की जवाबदेही तय करने के लिए एक नुकसान आंकलन समिति का गठन किया गया है।
डीयू ने भी नई स्थिति रिपोर्ट सौंपकर कहा कि उत्तर और दक्षिण दोनों परिसरों में लगभग सभी कालेज, विभाग और अन्य जगहों को साफ कर दी गई है। अब कोई नुकसान नहीं दिख रहा है। साथ ही कोर्ट को आासन दिया कि भविष्य में नुकसान पहुंचाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।
पीठ ने कहा कि डीयू के उत्तर और दक्षिण परिसर में अधिकांश कालेज और संकायों की सफाई उम्मीदवारों ने कर दी है। लेकिन तस्वीरों में परिसर के निकट की संपत्तियों पर पोस्टर और अन्य सामग्री दिखाई दे रही है। उम्मीदवारों के वकील ने इसके बाद शेष संपत्तियों पर हुए विरूपण को एक सप्ताह के भीतर हटाने का आासन दिया। पीठ ने उसके बाद मामले की सुनवाई बंद कर दी।
पीठ ने डीयू व उसके आसपास के सार्वजनिक संपत्तियों के बड़े स्तर पर विरूपित होने व उसके नष्ट होने की बात सामने आने पर मतगणना पर रोक लगा दी थी। पीठ ने डीयू से छात्रों की संपत्तियों की सफाई की पुष्टि करने और उम्मीदवारों की रिपोर्ट के साथ 10 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान कार्यवाही का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र और डीयूएसयू उम्मीदवार यह समझें कि विश्वविद्यालय की संपत्ति आम जनता की है और वे इसे सीमित अवधि के लिए उपयोग करने के हकदार हैं। इसे वे अगले बैच के लिए ट्रष्ट में रखते हैं। उसने यह भी कहा कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार युवा हैं। उसका मानना है कि उन्हें दूसरा मौका मिलना चाहिए और कार्यवाही का उद्देश्य सुधार करना है, न कि दंडित करना। कोर्ट ने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि इससे छात्र समुदाय और इस साल चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों तथा भविष्य में चुनाव लड़ने की योजना बनाने वाले उम्मीदवारों को स्पष्ट संदेश जाएगा।
अधिवक्ता प्रशांत मनचंदा ने एक याचिका दाखिल कर संभावित डूसू उम्मीदवारों एवं छात्र संगठनों के खिलाफ सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने, विरूपित करने, गंदा करने और नष्ट करने के आरोप में कार्रवाई की मांग की थी। मतदान 27 सितंबर को हुआ और मतगणना 28 सितंबर को होनी थी, पर इसपर तब तक रोक लगा दी गई जब तक कि पोस्टर, होर्डिग और संपत्तियों को विरूपित करने वाली अन्य सामग्री को नहीं हटा दिया जाता और सार्वजनिक संपत्ति को बहाल नहीं कर दिया जाता।
समय डिजिटल डेस्क नई दिल्ली |
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