सतर्कता बरतने से फायदा नहीं : विराट कोहली

February 26, 2020

भारतीय कप्तान विराट कोहली ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच से पहले अपने बल्लेबाजों से बेहद रक्षात्मक रवैया छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि विदेशी दौरों में इस तरह के खेल से कभी फायदा नहीं मिलता।

भारत को बेसिन रिजर्व में पहले टेस्ट मैच में दस विकेट से हार का सामना करना पड़ा था। वह तेज गेंदबाजों के लिए मददगार पिच पर दोनों पारियों में 200 रन तक भी नहीं पहुंच पाया था।
कोहली ने हार के बाद कहा, ‘मुझे लगता है कि बल्लेबाजी इकाई के तौर पर हम जिस भाषा का उपयोग करते हैं, उसे सही करना होगा। मुझे नहीं लगता कि सतर्क होने या बेहद सावधानी बरतने से मदद मिलेगी क्योंकि ऐसे में हो सकता है कि आप अपने शॉट नहीं खेल पाओ।’ दूसरी पारी में तकनीकी तौर पर मंझे हुए बल्लेबाज चेतेर पुजारा ने बेहद रक्षात्मक रवैया अपनाया और 81 गेंदों पर 11 रन बनाए। हनुमा विहारी ने 79 गेंदों खेलीं और 15 रन बनाए। बल्लेबाजी इकाई किसी भी समय लय हासिल करने में नाकाम रही।
पुजारा ने बीच में 28 गेंद तक एक भी रन नहीं बनाया और ऐसे में दूसरे छोर पर खड़े मयंक अग्रवाल को ढीले शॉट खेलने के लिए मजबूर होना पड़ा। भारतीय कप्तान को यह कतई पसंद नहीं है कि आप दौड़कर एक रन न लो और किसी अच्छी गेंद का इंतजार करो जो आपका विकेट ही ले लेगी। कोहली ने कहा, ‘आपको संदेह पैदा होगा, अगर इन परिस्थितियों में एक रन भी नहीं बन रहा है, आप क्या करोगे ? आप केवल यह इंतजार कर रहे हो कि कब वह अच्छी गेंद आएगी जो आपका विकेट ले लेगी।’

भारतीय कप्तान को विरोधी टीम पर हावी होने के लिए जाना जाता है और वह चाहते हैं कि उनके कुछ बल्लेबाज भी इसका अनुसरण करें। उन्होंने कहा, ‘मैं परिस्थितियों का आकलन करता हूं, अगर मैं देखता हूं विकेट पर घास है तो मैं हमलावर तेवर दिखाता हूं ताकि मैं अपनी टीम को आगे ले जा सकूं।’ कोहली ने कहा, ‘अगर आप सफल नहीं होते, तो आपको यह स्वीकार करना होगा कि आपकी सोच सही थी आपने कोशिश की लेकिन अगर इससे फायदा नहीं मिला तो उसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है।’ कप्तान ने अपनी राय को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘लेकिन मुझे नहीं लगता कि सतर्क रवैये से कभी फायदा मिलता है विशेषकर विदेशी पिचों पर।’
कोहली ने टॉस को महत्वपूर्ण करार देते हुए मैच के बाद कहा, ‘टॉस महत्वपूर्ण साबित हुआ। इसके साथ ही हम बल्लेबाजी इकाई के रूप में प्रतिस्पर्धी होने पर गर्व करते हैं लेकिन यहां हमने पर्याप्त प्रतिस्पर्धा नहीं दिखाई।’ इसका मतलब, वह भी टॉस जीतकर पहले क्षेत्ररक्षण करना पसंद करते। भारतीय रिकॉर्ड भी कहता है कि उसके लिए न्यूजीलैंड में बाद में बल्लेबाजी करना अच्छा रहा है। भारत ने कीवी धरती पर 13 मैचों में पहले क्षेत्ररक्षण किया और इनमें से चार मैच में उसे जीत और इतने ही मैचों में हार मिली। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय टीम केवल एक मैच जीत पायी और वह भी मार्च 1968 में। कोहली अगर इन परिस्थितियों पर गौर करते हैं तो फिर वह क्राइस्टचर्च में 29 फरवरी से शुरू होने वाले दूसरे और अंतिम टेस्ट मैच में टास जीतने पर पहले क्षेत्ररक्षण का फैसला कर सकते हैं।

 


भाषा
वेलिंग्टन

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