ईरान-इजरायल संघर्ष, ब्याज दर पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक के निर्णय से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

June 15, 2025

स्थानीय शेयर बाजार की दिशा इस सप्ताह ईरान-इजरायल संघर्ष, ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों, मुद्रास्फीति के आंकड़ों और अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय से तय होगी।

विश्लेषकों ने यह राय जताते हुए कहा है कि शुल्क से जुड़ी खबरें भी बाजार की दिशा को प्रभावित करेंगी। 

पिछले सप्ताह शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने के बीच बाजार नुकसान के साथ बंद हुआ। बाजार में जोखिम से बचने की भावना दिखाई दी। कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और आपूर्ति में अड़चन की आशंका से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई। 

वित्तीय सेवा प्रदाता अल्मंड्ज़ इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के बिक्री प्रमुख केतन विकम ने कहा, ‘‘इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बाद भारतीय शेयर बाजारों का रुख वैश्विक बाजारों से तय होने की संभावना है। बाजार में निराशा देखने को मिल सकती है, जिससे निवेशक जोखिम वाली संपत्तियों से दूरी बना सकते हैं। इसके अलावा कारोबारी बुधवार को फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से पहले सतर्कता बरतेंगे। जापान और ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक भी अपनी ब्याज दरों की अलग-अलग घोषणा करेंगे।’’ 

पिछले सप्ताह शुक्रवार को सेंसेक्स और निफ्टी में करीब एक प्रतिशत की गिरावट आई। कमजोर वैश्विक बाजारों और ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतों में उछाल ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया। 

जियोजीत इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘आगे की ओर देखें, तो ऊंचे मूल्यांकन और भू-राजनीतिक जोखिमों के बीच निवेशक सतर्कता बरतेंगे। अब सभी की निगाहें आगामी फेडरल रिजर्व की बैठक पर है। भविष्य के नीतिगत संकेतों के लिए फेडरल रिजर्व की टिप्पणी और आर्थिक अनुमान पर सभी की नजर रहेगी।’’ 

बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,070.39 अंक या 1.30 प्रतिशत नीचे आया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 284.45 अंक या 1.13 प्रतिशत के नुकसान में रहा।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शोध अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘आगामी दिनों में भू-राजनीतिक अनिश्चितता और केंद्रीय बैंक की महत्वपूर्ण बैठकों के बीच बाजार में उतार-चढ़ाव रहने की आशंका है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आगामी नीतिगत निर्णय पर कड़ी नजर रखी जाएगी।’’ 


उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर मानसून की प्रगति, कच्चे तेल की कीमतों के रुझान, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों और एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशकों) की गतिविधियों पर सभी का ध्यान रहेगा। 

विश्लेषकों ने कहा कि वैश्विक बाजार का रुख और डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल पर भी निवेशक नजर रखेंगे। 

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के प्रमुख-शोध, संपदा प्रबंधन सिद्धार्थ खेमका ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, हम उम्मीद करते हैं कि कमजोर वैश्विक संकेतों के कारण बाजार में सुस्ती बनी रहेगी, जबकि उद्योग आधारित खबरों से विभिन्न क्षेत्रों की गतिविधियां प्रभावित होंगी।’’


भाषा
नई दिल्ली

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