
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि को लाभकारी व्यवसाय में बदलने के लिए बुधवार को किसानों से सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को संगठित क्षेत्र में लाने की योजना पीएमएफएमई(PMFME) और प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY) का पूरा लाभ उठाने की अपील की।
सीतारमण ने कर्नाटक के कोप्पल जिले में ‘किसान प्रशिक्षण एवं साझा सुविधा केंद्र’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि नई पीढ़ी के माल एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधार ग्रामीण और कृषि समुदायों के लिए भी फायदेमंद होंगे। इस केंद्र की स्थापना सीतारमण के ’सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि’ (एमपीएलएडी) से की गई है।
सीतारमण ने बताया कि पीएमएफएमई योजना कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्द्धन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। इसके तहत केंद्र सरकार वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करती है और उद्यमों को आधुनिक बनाने में मदद करती है।
उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीण उद्यमिता को प्रोत्साहित कर गांवों में रोजगार सृजन पर जोर दे रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष, 2020 से अब तक केंद्र ने राज्यों को 3,700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की है। किसानों के लिए 11,000 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए जा चुके हैं। एक लाख से अधिक कृषि उद्यमी सामने आए हैं।’’
वित्त मंत्री ने पीएमडीडीकेवाई योजना का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना के तहत 24,000 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। कोप्पल इस योजना से लाभान्वित होने वाले जिलों में से एक है।’’
इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादकता बढ़ाना, फसलों का विविधीकरण प्रोत्साहित करना और 100 कम उत्पादक जिलों में किसानों की आजीविका सुधारना है।
उन्होंने बताया कि कर्नाटक के 43 लाख किसान ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ के लाभार्थी हैं, जिसके तहत उन्हें प्रतिवर्ष 6,000 रुपये तीन किस्तों में सीधे उनके खातों में दिए जाते हैं।
सीतारमण ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर दिवाली से पहले जीएसटी परिषद ने नई पीढ़ी के जीएसटी सुधार किए। नवरात्रि के दौरान इसे लागू भी कर दिया गया। अब कृषि उपकरण, सौर ऊर्जा संयंत्र, ट्रैक्टर और कृषि मशीनरी पर कर या तो हटा दिए गए हैं या 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिए गए हैं।’’
उन्होंने बताया कि जैव कीटनाशकों, सूक्ष्म पोषक तत्वों और जैव उर्वरकों पर भी जीएसटी दरों में कटौती की गई है।
नाबार्ड द्वारा कर्नाटक सरकार के सहयोग से स्थापित यह सुविधा केंद्र 840 टन आम और 600 टन पपीते के प्रसंस्करण एवं भंडारण की क्षमता रखता है। यहां तैयार उत्पादों को भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से प्रमाणित किया गया है।
सीतारमण ने कहा कि नाबार्ड किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहा है ताकि वे इस सुविधा का पूरा उपयोग कर सकें।
उन्होंने इसे ‘उत्तर कर्नाटक के अक्षय पात्र’ कहे जाने वाले कोप्पल जिले के किसानों के जीवन में सुधार की दिशा में एक बढ़िया कदम बताते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के ‘वोकल फॉर लोकल’ दृष्टिकोण को साकार करता है।
वित्त मंत्री ने इस सुविधा केंद्र की शुरुआत में सहयोग के लिए कर्नाटक सरकार का आभार जताते हुए कहा कि वह कल्याण कर्नाटक क्षेत्र के सभी सात जिलों में अपनी सांसद निधि का उपयोग कर रही हैं।
भाषा कोप्पल (कर्नाटक) |
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