मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए पार्वती ने 107 बार जन्म लिया था। मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108 जन्म में भगवान शिव ने देवी पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से इस व्रत की शुरूआत हुई। इस दिन सोलह श्रृंगार कर जो महिला भगवान शंकर और देवी पार्वती की सच्चे मन से पूजा करती है, उनका सुहाग लम्बे समय तक बना रहता है।
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