इस दिन राजस्थानी बालाएं दूर देश गए अपने पति के तीज पर आने की कामना करती हैं जो कि उनके लोकगीतों में भी मुखरित होता है। अपने सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिये महिलाएं यह व्रत किया करती हैं। इस दिन उपवास कर भगवान शंकर-पार्वती की बालू से मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है जो रात्रि भर चलता है। सुंदर वस्त्र धारण किये जाते हैं और कदली स्तम्भों से घर को सजाया जाता है। इसके बाद मंगल गीतों से रात्रि जागरण किया जाता है। इस व्रत को करने वाली महिलाओं को पार्वती के समान सुख प्राप्त होता है।
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