संघर्ष का जब भी जिक्र होता है तो सुनील अपने पिता को याद करते हैं। बताते हैं कि उनके पिता 9 साल की उम्र में घर से भागकर मुंबई आए थे। यहां उन्हें रोजगार चलाने के लिए एक रेस्त्रां में काम करना पड़ा। धीरे-धीरे उन्होंने अपने काम के दम पर तीन रेस्त्रां खरीदे।
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