
बसंत राय नामक एक युवक ने बाज को ढूंढ़ निकाला। इससे खुश होकर सुल्तान ने बंसत राय को मलूटी और आस-पास का इलाकों की जमींदारी दे दी। इसके बाद बसंत राय अब इलाके में राजा बाज बसंत के नाम से मशहूर हो गए। उनके वशंज राजा राखड़ चंद्र राय की धर्म-कर्म में रुचि थे। मलूटी में पहला मंदिर उन्होंने 1720 ई में बनाया। कहते हैं कि जमींदार परिवार के बाकी सदस्यों में भी मंदिर निर्माण की होड़ लग गई।
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