सर्प पूजन की परंपरा का प्रारंभ सृष्टि के प्रारंभ से जुड़ा है। वाराह पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने शेष नाग को आज ही के शुभ दिन प्रसाद से विभूषित किया था और शेष नाग ने पृथ्वी माता को अपने फन पर धारण किया। तभी से नागों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक बन गया और जन साधारण के द्वारा नागों का पूजन किया जाने लगा।
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