अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। साल 2024 में अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर, गुरूवार के दिन रखा जाएगा।
करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद और दीपावली से एक सप्ताह पहले आने वाली अष्टमी तिथि को देवी अहोई माता का व्रत किया जाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु, खुशहाल जिंदगी और उनके अच्छे स्वास्थय की कामना के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत करती हैं। और शाम को तारें देखकर व्रत को खोलतीं हैं। वहीं माना जाता है कि निसंतान महिलाएं अगर इस दिन व्रत करती हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती हैं। इस बार यह व्रत 24 अक्टूबर, गुरूवार को किया जाएगा। आइये जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि...
पूजा विधि: व्रत के दिन प्रात: उठकर स्नान करें और पूजा करके संकल्प करें कि पुत्र की लम्बी आयु एवं सुखमय जीवन हेतु मैं अहोई माता का व्रत कर रही हूं। अहोई माता मेरे पुत्रों को दीर्घायु, स्वस्थ एवं सुखी रखें।
अहोई माता की पूजा के लिए गेरु से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं और साथ ही स्याहु और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। सायंकाल में इन चित्रों की पूजा करें। पके खाने में चौदह पूरी और आठ पूयों का भोग अहोई माता को लगाएं।
चांदी की अहोई भी बनाई जाती है जिसे स्याहु कहते हैं। इस स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध व भात से करें. पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। माता के सामने दिया जलाएं और पूजा का सारा सामान (पूरी, मूली, सिंघाड़े, पूए, चावल और पका खाना) रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुनें। उसके बाद चावल के साथ तारों को अर्घ्य दें।
अहोई माता का कैलेंडर दीपावली तक लगा रहने देना चाहिए।
समय लाइव डेस्क नई दिल्ली |
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