पाकिस्तान में ब्रिटिश काल का बना देशद्रोह कानून खत्म

April 1, 2023

अंग्रेजों के काल में बने पाकिस्तान में देशद्रोह के क़ानून को लाहौर हाई कोर्ट ने आखिरकार खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। कोर्ट ने PPC की धारा 124-A को मनमाना बताया।

इस कानून को लेकर पाकिस्तान में आवाज़ें उठ रही थीं कि इसका इस्तेमाल अभिव्यक्ति की आज़ादी पर रोक लगाने के लिए किया जा रहा है।

हाई कोर्ट ने इस कानून को मनमाना बताते हुए खारिज कर दिया। लाहौर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति शाहिद करीम ने गुरुवार को देशद्रोह से संबंधित पाकिस्तान दंड संहिता (PPC) की धारा 124-ए को रद्द कर दिया। अदालत ने देश के कई नागरिकों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिकाओं में देशद्रोह कानून को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि सरकार ने इसका इस्तेमाल अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ किया है।

पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ को मौत की सजा सुना चुके हैं जज देशद्रोह कानून को लेकर सेलमन अबुजार नियाजी और अन्य की याचिकाओं पर सुनाई के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया था जिसे गुरुवार को सुनाया गया।

याचिकाओं में सरकार के खिलाफ बोलने वालों के खिलाफ देशद्रोह के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किए जाने को चुनौती दी गई थी। इस देशद्रोह के कानून को खत्म करने का फैसला देने वाले जस्टिस करीम ये वही जज हैं, जिन्होंने 2019 में पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफ को दोषी ठहराया था और 2007 में संविधान को पलटने के लिए राजद्रोह के मामले में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी।

अंग्रेजों ने देशद्रोह अधिनियम 1860 में बनाया था

याचिकाओं में तर्क दिया गया कि देशद्रोह अधिनियम 1860 में बनाया गया था तब पाकिस्तान में ब्रिटिश हुकूमत थी। इस कानून का इस्तेमाल गुलामों के लिए किया जाता था जिसके तहत वे किसी के भी खिलाफ मामला दर्ज कर सकता थे। याचिका में यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान का संविधान हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार देता है लेकिन फिर भी शासकों के खिलाफ भाषण देने पर धारा 124-ए लगाई जाती है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, राजद्रोह की धारा 124-ए का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

जानिए पाकिस्तान का देशद्रोह कानून के बारे में

जो कोई भी मौखिक, लिखित, संकेतों, दृश्य प्रतिनिधित्व, अन्यथा घृणा, अवमानना ​​​​करता है, लाने का प्रयास करता है, कानून द्वारा स्थापित संघीय या प्रांतीय सरकार के प्रति असंतोष को उत्तेजित करता है या उत्तेजित करने का प्रयास करता है, वह आजीवन कारावास से जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकता है, या कारावास से, जो तीन वर्ष तक का हो सकता है, जिसमें जुर्माना जोड़ा जा सकता है, या जुर्माने से दंडित किया जाएगा।


समयलाइव डेस्क
नई दिल्ली

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