
म्यांमार में आए एक भूकंप में कम से कम 1,002 लोग मारे गए, 2,376 लोग घायल हुए और 30 लोग अब भी लापता हैं। यह जानकारी म्यांमार के राज्य प्रशासन परिषद की सूचना टीम ने दी है।
भूकंप के कारण क्षतिग्रस्त हुईं कई इमारतों के मलबे से और शव निकाले जा रहे हैं, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
सेना के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से जारी एक बयान के अनुसार भूकंप के कारण अब तक 1,002 लोगों की मौत हो चुकी है तथा 2,376 अन्य लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा 30 लोग लापता बताए जा रहे हैं।
बयान में कहा गया है कि मृतकों की संख्या के बढ़ने की आशंका है तथा भूकंप से जुड़े विस्तृत आंकड़े अब भी एकत्र किए जा रहे हैं।
शुक्रवार को आए भूकंप का केंद्र म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले से ज्यादा दूर नहीं था। भूकंप के कारण कई इलाकों में इमारतें ढह गईं और व्यापक क्षति हुई है।
म्यांमार लंबे समय से चल रहे खूनी गृहयुद्ध की चपेट में है, और वहां पहले से ही एक बड़ा मानवीय संकट बना हुआ है। भूकंप के कारण म्यांमार में राहत एवं बचाव कार्यों को चलाना भी काफी मुश्किल हो रहा है।
भूकंप शुक्रवार दोपहर को आया जिसका केंद्र म्यांमार के मांडले शहर से ज्यादा दूर नहीं था, इसके बाद कई झटके महसूस किए गए, जिनमें से एक की तीव्रता 6.4 थी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, तबाही बहुत बड़ी है और मांडले, बागो, मैगवे, उत्तर-पूर्वी शान राज्य, सागाइंग और ने-पी-ताव सबसे ज्यादा प्रभावित इलाके हैं।
म्यांमार सरकार ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है, क्योंकि आपातकालीन प्रतिक्रिया दल जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए निरंतर काम कर रहे हैं।
यांगून-मांडले राजमार्ग, जो नेपीता और मांडले के पास स्थित है, गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे राहत कार्य में मुश्किलें आ रही हैं।
भूकंप से प्रभावित इलाकों में पहुंचने और बचाव कार्य में मदद के लिए लोगों ने पुराने यांगून-मांडले मार्ग का इस्तेमाल किया है। इसके अलावा, मांडले एयरपोर्ट और राजमार्ग के कुछ हिस्सों में इमारतें गिर जाने के कारण यांगून और मांडले के बीच यात्रा और भी मुश्किल हो गई है।
भूकंप के कारण कई क्षेत्रों में इमारतें ढह गईं, सड़कें क्षतिग्रस्त हो गईं, पुल ढह गए तथा एक बांध टूट गया।
निचले म्यांमार से अग्निशमन सेवा कर्मियों समेत बचाव दल पी ताव और मांडले जैसे गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच गए हैं। हालांकि, क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे, बिजली की कटौती और फोन-इंटरनेट सेवाओं में परेशानी के कारण राहत कार्यों में दिक्कतें आ रही हैं।
अंतर्राष्ट्रीय सहायता आनी शुरू हो गई है। म्यांमार की आपातकालीन प्रतिक्रिया में मदद करने और प्रभावित लोगों को सहायता देने के लिए शनिवार सुबह एक चीनी बचाव दल यांगून पहुंचा।
अधिकारी और बचाव दल दिन-रात प्रभावित लोगों की मदद में जुटे हुए हैं। लेकिन, म्यांमार को हाल के समय में आए सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक से उबरने में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के खराब होने और जरूरी सेवाओं के बंद होने के कारण, बचे हुए लोगों को अपनी जिंदगी फिर से शुरू करने में मदद देने के लिए जल्दी राहत प्रयासों की जरूरत है।
म्यांमार के नेता वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय समुदायों से मानवीय सहायता की अपील की है। शनिवार सुबह मिन आंग ह्लाइंग मांडले में बचाव कार्य में मदद करने के लिए पहुंचे।
म्यांमार के पड़ोसी देश थाईलैंड में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए और इसने राजधानी बैंकॉक समेत देश के अन्य क्षेत्रों को हिलाकर रख दिया।
बैंकॉक शहर के अधिकारियों ने बताया कि भूकंप के कारण अब तक छह लोग मृत पाए गए हैं, 26 लोग घायल हैं और 47 अब भी लापता हैं।
राजधानी के लोकप्रिय चतुचक बाजार के निकट एक निर्माण स्थल पर काफी तबाही हुई है।
भूकंप आने पर, थाईलैंड की सरकार के लिए एक चीनी कंपनी द्वारा बनाई जा रही 33 मंजिला ऊंची इमारत हिलने लगी। इसके बाद इमारत धूल के विशाल गुबार के साथ जमीन पर धराशायी हो गयी, जिससे लोग चीखने लगे और घटनास्थल से भागने लगे।
भूकंप के बाद कई टन मलबे को हटाने के लिए शनिवार को और अधिक भारी उपकरण लाए गए, लेकिन लापता लोगों के मित्रों और परिवार के सदस्यों के बीच यह आशा धूमिल होती जा रही थी कि वे जीवित मिल जाएंगे।
अपने साथी और उसके पांच अन्य दोस्तों की तलाश में जुटी 45 वर्षीय नारुमोल थोंगलेक ने कहा, ‘‘मैं प्रार्थना कर रही थी कि वे बच गए हों, लेकिन जब मैं यहां पहुंची और खंडहर देखा - वे कहां हो सकते हैं। किस कोने में। क्या वे अब भी जीवित हैं। मैं अब भी प्रार्थना कर रही हूं कि सभी छह लोग जीवित हों। ’’
थोंगलेक ने कहा, ‘‘मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकती। जब मैं यह देखती हूं तो मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकती। मेरा एक करीबी दोस्त भी वहां है। ’’
वेनफेट पंटा ने बताया कि भूकंप से लगभग एक घंटे पहले हुई फोन कॉल के बाद से उन्होंने अपनी बेटी कनलयानी से कोई बात नहीं की है। एक मित्र ने बताया कि कनलयानी शुक्रवार को इमारत में काम कर रही थी।
पंटा ने कहा, ‘‘मैं प्रार्थना कर रही हूं कि मेरी बेटी सुरक्षित हो, वह बच गई हो और अस्पताल में हो। ’’
म्यांमा की सरकार ने कहा कि भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में रक्त की मांग अत्यधिक है।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, चीन के युन्नान प्रांत से 37 सदस्यों का एक बचाव दल भूकंप डिटेक्टर, ड्रोन और अन्य सामान के साथ शनिवार सुबह यांगून शहर पहुंचा।
रूसी सरकारी समाचार एजेंसी तास की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के आपातकालीन मंत्रालय ने 120 बचावकर्मियों और राहत सामग्री को लेकर दो विमान भेजे हैं।
भारत ने एक बचाव दल तथा एक चिकित्सा दल के साथ-साथ राहत सामग्री भी भेजी है।
संयुक्त राष्ट्र ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियान के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर की सहायता की घोषणा की है।
एपी/आईएएनएस मांडले |
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