सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश- दिल्ली-NCR में 15 साल से अधिक पुराने वाहनों पर नहीं होगा कोई एक्शन

August 13, 2025

दिल्ली-NCR में 10 वर्ष से अधिक पुराने ड़ीजल वाहनों और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अधिकारियों को आदेश दिया कि वे उनके खिलाफ कोई दंड़ात्मक कार्रवाई न करें।

शीर्ष अदालत एनजीटी के निर्देश को बरकरार रखने वाले 29 अक्टूबर 2018 के अपने फैसले को वापस लेने की मांग वाली याचिका पर विचार कर रही थी। उच्चतम न्यायालय ने एनजीटी के आदेश के अनुसार एनसीआर में राज्यों के परिवहन विभागों को 10 वर्ष से अधिक पुराने ड़ीजल वाहनों और १५ साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को सड़़कों पर चलने से प्रतिबंधित करने का निर्देश दिया था। 

दूसरी ओर‚ एनजीटी ने आदेश दिया था कि 15 वर्ष से अधिक पुराने सभी ड़ीजल या पेट्रोल वाहनों को सड़़कों पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी तथा इसका अनुपालन न करने की स्थिति में मोटर वाहन अधिनियम के तहत वाहनों को जब्त करने सहित उचित कार्रवाई की जाएगी। एनजीटी ने 26 नवम्बर 2014 को कहा था‚ यह निर्देश बिना किसी अपवाद के सभी वाहनों पर लागू होगा‚ अर्थात दो पहिया‚ तीन पहिया‚ चार पहिया‚ हल्के वाहन और भारी वाहन‚ चाहे वे वाणिज्यिक हों या अन्य। यह आदेश राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर को ध्यान में रखते हुए जारी किया गया। 

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई‚ न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने मंगलवार को यह आदेश तब पारित किया जब दिल्ली सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि वह कोई दंड़ात्मक कदम न उठाने का आदेश देने पर विचार करे।

पीठ ने कहा‚ नोटिस जारी करें‚ जिसका चार सप्ताह में जवाब दिया जाए। इस बीच‚ हम निर्देश देते हैं कि वाहन मालिकों के खिलाफ इस आधार पर कोई दंड़ात्मक कदम नहीं उठाया जाए कि उनके ड़ीजल वाहन 10 साल और पेट्रोल वाहन 15 साल पुराने हैं। 

दिल्ली सरकार ने 10 साल से ज्यादा पुराने ड़ीजल वाहनों और 15  साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है। सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा‚ प्रतिबंध के कारण लोगों के पास अपने पुराने वाहन बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने पीठ से आवेदन पर नोटिस जारी करने का अनुरोध करते हुए ‘कोई दंड़ात्मक कार्रवाई न करने' का निर्देश देने का आग्रह किया।

मेहता ने कहा‚ घर से अदालत आने–जाने के लिए किसी व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला वाहन 10 साल में केवल 2000 किलोमीटर ही चल पाएगा‚ लेकिन प्रतिबंध के कारण उसे इसे बेचना पड़़ेगा। यदि कोई व्यक्ति वाहन को टैक्सी के रूप में उपयोग कर रहा है तो दो वर्षों में यह एक लाख किलोमीटर से अधिक चल सकता है‚ लेकिन फिर भी यह गाड़़ी अगले आठ वर्षों तक सड़़कों पर दौड़़ सकती है।

मेहता ने कहा‚ पुलिस (पुराने) वाहनों को जब्त करने के दायित्व के अंतर्गत काम कर रही है। याचिका में केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से अनुरोध किया गया है कि वे एक व्यापक अध्ययन करें‚ जिसमें यह आंका जाए कि अवधि–आधारित प्रतिबंधों के मुकाबले उत्सर्जन–आधारित मानदंड़ों से पर्यावरण को वास्तव में कितना लाभ होता है। 


सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली

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