वाल्मीकि निगम घोटाला: CBI ने कर्नाटक के पूर्व मंत्री के सहयोगियों के परिसरों पर की छापेमारी

September 16, 2025

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई - CBI) ने वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम ‘घोटाले’ के सिलसिले में सोमवार को कर्नाटक के पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र के सहयोगियों के राज्य और आंध्र प्रदेश में 16 ठिकानों पर छापेमारी की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

इस मामले में कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम के खातों से नागेंद्र के रिश्तेदारों के निजी बैंक खातों में सरकारी धन हस्तांतरित करने के गंभीर आरोप हैं।
सीबीआई ने मीडिया के एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि तलाशी अभियान में नागेन्द्र की बहन बी शारदा, रिश्तेदार डी भरणी प्रसाद, निजी सहायक के विश्वनाथ, निकट सहयोगी नेकांति नागराज (जो धनलक्ष्मी एंटरप्राइजेज के मालिक भी हैं), नागराज के भाई एन. रविकुमार और नागराज के भतीजे एन यशवंत चौधरी के परिसरों को कवर किया गया।
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि इस अभियान में पूर्व मंत्री नागेन्द्र के परिसर की तलाशी नहीं ली गई।
वर्ष 2006 में स्थापित, कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति (एसटी) विकास निगम की स्थापना राज्य में एसटी समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से विकासात्मक योजनाओं को लागू करने के लिए की गई थी।
सीबीआई ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के उप महाप्रबंधक की शिकायत पर मामला दर्ज किया था, जहां वाल्मीकि निगम का खाता था।

शिकायत में, 21 फरवरी 2024 और छह मई 2024 के बीच निगम के बैंक खातों से अवैध हस्तांतरण और निकासी के माध्यम से 84 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी का आरोप लगाया गया था।

अधिकारियों ने बताया कि यह मामला जून 2024 में नागेंद्र के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन जांच के दौरान सीबीआई ने कुछ रिकॉर्ड एकत्र किए, जिससे इस शिकायत की पुष्टि हुई कि पूर्व मंत्री की बहन और बहनोई के बैंक खातों में कथित तौर पर धन हस्तांतरित किया गया था।

सीबीआई अनियमितताओं की एक सीमा तक ही जांच कर रही थी। एजेंसी को जुलाई में कर्नाटक उच्च न्यायालय से पूरी जांच करने की मंजूरी मिल गई।

उच्च न्यायालय ने राज्य के विशेष जांच दल (एसआईटी) को मामले से संबंधित सभी दस्तावेज और साक्ष्य केंद्रीय एजेंसी को सौंपने का आदेश दिया था।

उच्च न्यायालय ने विधायक बासनगौड़ा आर पाटिल द्वारा पिछले वर्ष नवंबर में दायर याचिका पर आदेश दिए थे, जिसमें सीबीआई को अदालत के समक्ष अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने तथा याचिका के लंबित रहने के दौरान अंतरिम वस्तु स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

तब से, उच्च न्यायालय जांच की निगरानी कर रहा है।

सीबीआई ने अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग और कर्नाटक जर्मन तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान (केजीटीटीआई) से संबंधित सरकारी धन के दुरुपयोग के दृष्टांत पाए। नागेंद्र अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के मंत्री थे।

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने पाया कि अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के 2.17 करोड़ रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा, सिद्धैया रोड शाखा, बेंगलुरु स्थित खाते से एसकेआर इन्फ्रास्ट्रक्चर और गोल्डन एस्टेब्लिशमेंट जैसी मध्यस्थ फर्मों के माध्यम से तत्कालीन मंत्री के करीबी सहयोगी नेकांति नागराज के स्वामित्व वाले धनलक्ष्मी एंटरप्राइजेज के खाते में कथित रूप से भेजे थे।

उन्होंने बताया कि करीब 1.20 करोड़ रुपये की धनराशि नागेंद्र के सहयोगियों और रिश्तेदारों के खातों में भेज दी गई, जिनमें उनकी बहन, बहनोई और निजी सहायक शामिल हैं।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने केजीटीटीआई से संबंधित 64 लाख रुपये के एक अन्य मामले का भी पता लगाया है, जो केनरा बैंक के खाते से कई कंपनियों के माध्यम से एन रविकुमार (नागराज के भाई) और एन यशवंत चौधरी (नागराज के भतीजे) को हस्तांतरित किया गया।


भाषा
नई दिल्ली

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