अरबपति, फिर भी भीख मांगकर जीवन जीने का लिया संकल्प

April 14, 2024

आजकल जहां लोग धन के पीछे भाग रहे हैं। धन कमाने के लिए रिश्तों को भी ताख पर रखते जा रहे हैं। ऐसे समय में कोई अरबपति व्यक्ति सारी सुख सुविधाओं को त्याग कर एक सन्यासी का जीवन जी सकता है ?

शायद बहुतों का जवाब होगा नहीं। लेकिन आज के इस आधुनिक जीवन में भी कुछ लोग ऐसे हो सकते हैं। हालांकि भारत की धरती पर ऐसे उदाहरण सदियों से देखने को मिलते रहे हैं। दर्शकों को अच्छी तरह याद होगा कि कैसे सिद्धार्थ ने अपना सारा राजपाट छोड़ दिया था। अपने माता पिता ही नहीं अपनी पत्नी और अपने बच्चे को भी छोड़कर सन्यासी जीवन को आत्मसात कर लिया था। बाद में चलकर वो गौतम बुद्ध कहलाए। वैसे यह बात तो सदियों पुरानी है, त्याग और तपस्या का नया मामला देखने को मिला है गुजरात में। वहां के एक दंपति ने अपना सब कुछ छोड़कर सन्यासी जीवन जीने का फैसला कर लिया है। यही नहीं उस महान दंपति बच्चों ने भी एक ऐसा काम कर दिया है जो आज एक मिशाल बन चुके हैं। जी हां,इस चमत्कारी व्यक्ति का नाम भावेश भाई भंडारी है। इन्होंने अपनी दो सौ करोड़ रुपए की संपत्ति दान कर कर दी है। गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में रहने वाले भावेश भाई भंडारी ने पत्नी संग भौतिक जीवन की विलासिता छोड़ने का फैसला किया है। वे बाकी की जिंदगी संन्‍यासी बनकर बिताना चाहते हैं। इस फैसले ने कई लोगों को चौंका दिया है।

साबरकांठा के एक समृद्ध परिवार से ताल्‍लुक रखने वाले भावेश भाई भंडारी की परवरिश सुख-सुविधाओं में हुई है। वह साबरकांठा और अहमदाबाद दोनों जगहों पर कंस्‍ट्रक्‍शन बिजनेस से जुड़े थे। भंडारी परिवार का जैन समुदाय के साथ लंबे समय से जुड़ाव रहा है। यह समुदाय अक्सर भिक्षुओं और भक्तों से जुड़ा रहता है। भावेश भाई और उनकी पत्नी दोनों ने अब पंखे, एयर कंडीशनर और मोबाइल फोन सहित सभी भौतिक संपत्तियों का त्याग करके तपस्वी जीवन जीने की कसम खाई है। भावेश भाई भंडारी के इस निर्णय पर शायद हमारे दर्शक यह सोच रहे होंगे कि उनकी अब उम्र हो चुकी है, इसलिए शायद ऐसा फैसला किया होगा। लेकिन यहां बता दें कि भावेश भाई भंडारी के बच्चों ने उनके जैसा काम महज 16 और 19 साल की उम्र में ही कर दिया था।

उनके दोनों बच्चों ने जब भौतिक जीवन से सन्यास लिया था तब उनके बेटे की उम्र 16 साल थी जबकि उनकी बेटी की उम्र 19 साल की थी। उनके दोनों बच्चों ने 2022 में सन्यास लिया था। ऐसा कहा जा रहा है कि भंडारी दंपति ने अपने बच्चों से प्रेरित होकर ही सांसारिक जीवन को त्यागने का फैसला किया है। इन्होंने अपने सन्यास की घोषणा करने के लिए एक भव्य जुलूस का आयोजन करवाया। लगभग 4 किलोमीटर तक उस जुलूस के दौरान ही उन्होंने 35 लोगों के साथ ही अनुशासित जीवन जीने का संकल्प लिया। अब यह दंपति जीवन भर ए सी ,पंखा और मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करेगा। भोजन भी भीख मांगकर करेगा। कुछ खबरों के मुताबिक यह दंपति आगामी 22 अप्रैल को हिम्मतनगर रिवरफ्रंट पर औपचारिक रूप से त्याग का जीवन जीने के लिए आगे बढ़ जाएंगे। आज जहां कलयुग में तरह-तरह की घटनाएं सुनने और देखने को मिल रही हैं। गलाकाट प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है, ऐसे में भंडारी दंपति एक उदाहरण है। भारत की धरती पर त्याग करने वाले लोगों की एक मिशाल है, और यह बताता है कि आज भी भारत की धरती पर ऐसे लोगों की कमी नहीं है।

 


शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली

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