Delhi Mayor Election: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में शुक्रवार को घोषित मेयर व डिप्टी मेयर का चुनाव टाल दिया गया है।
एमसीडी के सचिव शिवा प्रसाद केवी ने जारी आदेश संख्या-डी-8/एमएस/एमसीडी2024 के माध्यम से कहा है कि पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने और कई अन्य जरूरी कानूनी प्रक्रिया संबंधी औपचारिकताएं पूरी नहीं हो पाई हैं इसलिए यह सूचित किया जाता है कि 26 अप्रैल को प्रस्तावित मतदान को रद्द किया जाता है।
इस बीच उपराज्यपाल कार्यालय से जारी एक अन्य आदेश में मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव संबंधी कार्यवाही को गैर-कानूनी करार दिया गया है। आदेश में यह कहा गया है कि दिल्ली एक संघ शासित प्रदेश है।
इसमें मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री के जरिए जो भी निर्णय व मसौदा तैयार किए जाते हैं, उनकी स्वीकृति के बाद ही अंतिम निर्णय के लिए उपराज्यपाल कार्यालय भेजा जाता है। मुख्य सचिव, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के मध्य कड़ी का काम करता है।
इस मामले में दिल्ली सरकार ने नियमों की अनदेखी की है इसलिए चुनाव को टालना पड़ा है।
बता दें एमसीडी ने मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव के लिए नामांकन के लिए 18 और नामांकन वापसी के लिए 19, जबकि चुनाव 26 अप्रैल को सुनिश्चित किया था। एमसीडी सचिव ने यह भी स्पष्ट किया है कि नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत में नियमानुसार पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की जानी चाहिए थी। डीएमसी एक्ट 1957 के तहत ही यदि पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं की जाती है तो मेयर एवं डिप्टी मेयर पद के चुनाव संबंधी तमाम की गई औपचारिकताएं स्वत: ही रद्द मानी जाती हैं।
दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग में स्पेशल सेक्रेटरी-2 (यूडी सोनालिका जीवनी) ने भी जारी आदेश में इस आशय की पुष्टि की है कि पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति संबंधी औपचारिकताएं जरूरी हैं, हम इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।
चूंकि दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री की स्वीकृति के साथ ही उपराज्यपाल का निर्देशन किसी भी कार्य के लिए आवश्यक है। यूडी धारा-36(1) डीएमसी अधिनियम 1957 में स्पष्ट लिखा हुआ है कि मेयर और डिप्टी मेयर के प्रतिष्ठित पदों के चयन की प्रक्रिया में शॉर्टकट तरीके स्वीकार नहीं किए जा सकते। अत: ऐसी अवस्था में पूर्व व्यवस्था के तहत मेयर और डिप्टी मेयर अगले फैसले तक काम करेंगे।
समय लाइव डेस्क नई दिल्ली |
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