दूधारू मवेशियों को दिए जाने वाले नकली हार्मोनों के इस्तेमाल को रोकने में विफल रहने पर हाईकोर्ट की एमसीडी, पुलिस व FSSAI को फटकार

May 9, 2024

दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी में शुद्ध दूध की आपूर्ति करने एवं मवेशियों को दिए जाने वाले नकली हार्मोनों के इस्तेमाल को रोकने में विफल रहने पर दिल्ली सरकार, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी), दिल्ली पुलिस और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) को फटकार लगाई।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने राजधानी में चल रही डेयरियों की स्वच्छता एवं सफाई से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए कुछ नहीं किया है।

पीठ ने इसके बाद मुख्य सचिव से सभी डेयरियों के पास अनिवार्य लाइसेंस होने एवं मवेशियों के कचरे न खाने की योजना के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। उस रिपोर्ट में सरकार से गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइटों के पास की डेयरियों से निकलने वाले दूध को दूषित न होने से बचाने एवं ऑक्सीटोसिन के स्रेत का पता लगाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी देने को कहा है।

पीठ ने एफएसएसएआई को लैंडफिल साइटों के पास की डेयरियों के दूध और अन्य उत्पादों की जांच बढ़ाने का आदेश दिया है। उसने इस मामले की सुनवाई 27 मई के लिए स्थगित कर दी।

पीठ ने सरकार के मुख्य सचिव से कहा कि उन्हें डेयरियों का दौरा करने के लिए कुछ समय निकालना चाहिए। इससे उनको फीडबैक मिलेगा। एक बार जब आप स्पष्ट संदेश भेज देंगे, तो आपके अधिकारी खुद ही दौरा करना शुरू कर देंगे।

पीठ ने डेयरी कॉलोनियों में रखे गए मवेशियों की संख्या के बारे में सटीक आंकड़े देने में सरकार की विफलता पर भी नाराजगी व्यक्त की। उसने कहा कि दिल्ली सरकार के आंकड़े बताते हैं कि नौ डेयरी कॉलोनियों में लगभग 30 हजार मवेशी हैं, जबकि केंद्र सरकार के पशुपालन विभाग की एक रिपोर्ट से पता चला है कि यह संख्या तीन लाख से अधिक है।

पीठ ने टिप्पणी की कि वह यह बर्दाश्त नहीं करेगा कि मवेशी लैंडफिल साइटों के पास खतरनाक कचरा खाएं और उनका दूध बच्चों को पिलाया जाए या मिठाई और चॉकलेट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाए। आज प्रशासन ने आंखें मूंद ली हैं,जैसे कि डेयरियां मौजूद ही नहीं है।


समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली

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