
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को उम्मीद जताई कि कश्मीरी पंडितों की घाटी में जल्द वापसी होगी, क्योंकि पहलगाम हमले के बाद खीर भवानी मेले में बड़ी संख्या में उनका आना इसके दोषियों को “करारा जवाब” है।
गांदरबल जिले के तुलमुल्ला में वार्षिक खीर भवानी मेले के दौरान रागन्या देवी मंदिर में दर्शन के बाद संवाददाताओं से मुखातिब अब्दुल्ला ने कहा, “यह (मेले में श्रद्धालुओं की मौजूदगी) बहुत बड़ी बात है। ऐसा माता (मंदिर की देवी) ने किया है। उन्होंने श्रद्धालुओं को यहां, उनके घरों में बुलाया है।”
नेकां अध्यक्ष ने लोगों से आग्रह किया कि वे पहलगाम हमले और उसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिन के सैन्य संघर्ष का डर त्याग दें तथा बड़ी संख्या में जम्मू-कश्मीर की यात्रा करें।
उन्होंने कहा, “जम्मू में भी लोग लड़ाई के कारण डरे हुए हैं। वे माता वैष्णो देवी मंदिर नहीं आ रहे हैं। मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि वे डर छोड़कर माता के दर्शन के लिए आएं।”
जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई कि तीन जुलाई से शुरू होने वाली वार्षिक अमरनाथ यात्रा में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री शामिल होंगे।
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि भोलेनाथ के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग आएंगे।”
अब्दुल्ला ने खीर भवानी मेला में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति का स्वागत किया।
उन्होंने कहा, “लोगों के बीच डर खत्म होने लगा है। यह उन लोगों को करारा जवाब है, जो लोगों के दिलों से भाईचारा खत्म करना चाहते हैं। भाईचारा जिंदा है और हमेशा रहेगा।”
नेकां प्रमुख ने कहा कि कश्मीर “ऋषि-मुनियों और सूफियों” की धरती है तथा खीर भवानी मेला इस साझा आस्था का हिस्सा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मेला कश्मीरी पंडितों को अपनी मातृभूमि लौटने के लिए प्रेरित करेगा।
अब्दुल्ला ने कहा, “लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं, अपनी समस्याओं के साथ-साथ देश की समस्याओं के अंत के लिए प्रार्थना करते हैं। हम भी यहां आए हैं और उम्मीद करते हैं कि यह मेला हमारे भाइयों-बहनों की वापसी की शुरुआत है, ताकि वे यहां रहें।”
उन्होंने कहा, “हम यहां इस उम्मीद से आए हैं कि माता उन्हें वापस घर ले आएंगी, ताकि वे यहां आराम से रह सकें।”
कश्मीरी पंडितों को जमीन मुहैया कराने के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती के प्रस्ताव के बारे में अब्दुल्ला ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने न केवल भूमि उपलब्ध कराने की, बल्कि समुदाय के लिए मकान बनाने की भी पेशकश की थी, लेकिन हालात “प्रतिकूल” हो गए।
उन्होंने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इनमें (कश्मीरी पंडितों) से हजारों को नौकरियां मुहैया कराईं, ताकि वे यहां आएं और रहें, लेकिन हालात फिर से प्रतिकूल हो गए। अब हम उम्मीद करते हैं कि स्थिति में सुधार होगा और हमारे भाई-बहन घाटी लौटेंगे।”
भाषा तुलमुल्ला |
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