
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ के रथ को आगे बढ़ने की वजह से हुई देखी के कारण काफी बवाल मचा हुआ है। भगवान जगन्नाथ का रथ नंदी घोष सिंह द्वार से कुछ ही दूरी पर चला और फिर रुक गया। इसकी वजह से बलभद्र और देवी सुभद्रा का रथ भी रुक गया।
पांच बार ओडिशा के मुख्यमंत्री रह चुके और बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक ने कहा कि राज्य के सबसे पवित्र आयोजन के दौरान जो कुछ भी घटित हुआ, उस पर चिंता और दुख व्यक्त किए बिना रह पाना असंभव है।
मुंबई के एक अस्पताल में सर्जरी के बाद स्वास्थ्य लाभ ले रहे पटनायक ने शनिवार को ‘एक्स’ पर एक विस्तृत पोस्ट में लिखा, “हम यहां कल नंदीघोष (भगवान जगन्नाथ) के रथ को खींचने में हुई अत्यधिक देरी के लिए प्रशासन पर उंगली उठाने या उसे दोष देने के लिए नहीं हैं। लेकिन हमारे राज्य में सबसे पवित्र आयोजन के दौरान जिस तरह से चीजें घटित हुईं, उस पर अपनी गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त किए बिना रहना असंभव है।
पटनायक ने यह भी कहा कि यह भूलना कठिन है कि पिछले वर्ष भगवान बलभद्र की मूर्ति 'अडापा बिजे पहांडी' (श्री गुंडिचा मंदिर के रास्ते पर जुलूस) के दौरान फिसल गई थी, जिसने असंख्य श्रद्धालुओं को झकझोर दिया था।
उन्होंने लंबे सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘और अब इस वर्ष, हमने देखा कि नंदीघोष रथ (भगवान जगन्नाथ का रथ) शाम 7:45 बजे तक सिंहद्वार (12वीं शताब्दी के मंदिर का सिंह द्वार) पर ही खड़ा रहा, और दिन समाप्त होने से ठीक पहले केवल कुछ मीटर ही आगे बढ़ पाया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "इसने स्वाभाविक रूप से उन लाखों श्रद्धालुओं को, जो इस अद्वितीय आयोजन को देखने के लिए दुनिया भर से आए थे, पूरी तरह से निराश और हताश किया है।"
पटनायक ने यह भी उल्लेख किया कि भीड़ प्रबंधन की खराब व्यवस्था के कारण सैकड़ों श्रद्धालु घायल हो गए।
उन्होंने लिखा, “हम केवल प्रार्थना कर सकते हैं कि महाप्रभु जगन्नाथ इस दिव्य पर्व पर हुई इस गंभीर अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को क्षमा करें। उम्मीद है कि इस सिलसिले में सरकार के सभी लोग गहराई से आत्ममंथन करेंगे।”
रथों को शुक्रवार की शाम तक गुंडिचा मंदिर (जिसे देवी-देवताओं का मौसीघर माना जाता है) पहुंचना था, लेकिन ग्रैंड रोड पर उन्हें रोकना पड़ा, क्योंकि भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ मोड़ लेते समय फंस गया, जिससे बाकी दो रथ आगे नहीं बढ़ सके।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शुक्रवार को कहा कि इस बार अनुकूल मौसम के कारण श्रद्धालुओं की संख्या सामान्य से डेढ़ गुना अधिक रही।
उन्होंने कहा कि जो श्रद्धालु विशेष रूप से भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने के लिए आए थे, उन्हें यह अवसर अब कल मिलेगा।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार रात आठ बजे रथ खींचने की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया था, हालांकि सभी अनुष्ठान तय समयानुसार संपन्न कर लिए गए थे।
शनिवार को श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथों को फिर से खींचना शुरू किया। पुरी में रथयात्रा को 27 जून की रात को रोक दिया गया था।
भाषा भुवनेश्वर |
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