महाकुंभ में पहुंचे 'साइकिल वाले बाबा', भारत और सनातम धर्म की जय-जयकार का लिया संकल्प

December 22, 2024

आस्था की संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाले 2025 महाकुंभ की शुरुआत होने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। देश-दुनिया से श्रद्धालुओं और साधु-संतों के पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। उन्हीं में से एक संत आपको कुंभ क्षेत्र में साइकिल चलाते हुए जाएंगे।

आस्था नगरी प्रयागराज के महाकुंभ में तमाम साधु-संत श्रद्धालु और महात्मा हजारों किलोमीटर का सफर तय कर धर्म की नगरी में आस्था डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन एक ऐसे भी बाबा हैं जो साइकिल की सवारी करते हुए संगम की रेती पर धूनी रमाने के लिए आए हुए हैं।

उन्होंने अपनी साइकिल को आश्रम का रूप दे दिया है। साइकिल को हाईटेक नहीं बल्कि जुगाड़ टेक्नोलॉजी से इस तरह तैयार किया है कि वह हाईवे पर भी फर्राटा भर सके। महाकुंभ में लोग इन्हें साइकिल वाले बाबा के नाम से पुकारते हैं।

खुद को भगवान भोलेनाथ का परम भक्त बताने वाले बाबा का नाम पंडित संपत दास रामानुज ब्रह्मचारी हैं जो बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले हैं। संपत दास रामानुज ब्रह्मचारी हैं। यह बिहार के औरंगाबाद जिले के रहने वाले हैं। बाबा के साइकिल से तीर्थ स्थलों के भ्रमण करने की कहानी भी बेहद अनूठी है।

उनके मुताबिक उनके गुरु भगवान महादेव ने उन्हें साइकिल से देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों का भ्रमण करने का संकेत दिया। इसके बाद वह औरंगाबाद जिले से साइकिल पर सवार होकर सबसे पहले महाकालेश्वर का दर्शन करने के लिए उज्जैन गए। इसके बाद साइकिल से ही कई दूसरे तीर्थ स्थलों पर माथा टेकने के बाद वह अब प्रयागराज महाकुंभ में पहुंचे हैं।

पंडित संपत दास रामानुज ब्रह्मचारी ने अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए आईएएनएस को बताया, "मैं इस साइकिल से कई तीर्थस्थलों की भ्रमण कर चुका हूं। सबसे पहले हम झारखंड में कौलेश्वरी पहाड़ गए और फिर गुप्ताधाम गए। वहां से लौटकर वापस अपने औरंगाबाद गए। औरंगाबाद में महाकाल मंदिर गए जो मेरे गुरु का स्थान है। इसके बाद हम मैहर भी जा चुके हैं।"

इस बारे में जानकारी देते हुए पंडित संपत दास रामानुज ब्रह्मचारी के साथी और संत ओंकारनंद सरस्वती ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "उन्होंने झारखंड भ्रमण साइकिल पर पूरा कर लिया है। माता ने उन्हें कृपा दी है।

साइकिल पर जाते हुए कोई उन्हें खाना-पीना सत्तू इत्यादि दे देता है तो कई बार भोजन नहीं मिलता है। वह सनातन धर्म के लिए ऐसा कर रहे हैं और ऐसे लोगों की मां अवश्य सहायता कर रही है। उनका संकल्प है की भारत की जय-जयकार हो। सनातन धर्म की जय जयकार हो और हिंदू समाज की जय जयकार हो।"

बाबा संपत दास ने साइकिल को ही अपना आश्रम बना रखा है। साइकिल पर धर्म ध्वजाएं शान से फहरा रही हैं तो वही साइकिल के पिछले हिस्से पर उनका बिस्तर और आसन भी रखा हुआ है। साइकिल के चारों तरफ सनातनी झंडे लगे हुए हैं। अलग अलग देवी-देवताओं की तस्वीरें लगी हुई हैं। साथ ही धूप और धूल से बचने के लिए साइकिल को चारों तरफ से अस्थाई तौर पर पैक कर रखा है।

वही बाबा कहते है कि पूरे महाकुंभ यहीं प्रयागराज में ही रहेंगे और साइकिल से घूम-घूम कर सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करेंगे और सनातन धर्मियों को एकजुट होकर रहने का संदेश भी देंगे। साथ ही सबका कल्याण हो ऐसी कामना करेंगे।


आईएएनएस
प्रयागराज

News In Pics