Uttarakhand: चमोली के नंदानगर में बादल फटने से भारी तबाही, बाढ़ और भूस्खलन में 14 लोग लापता

September 18, 2025

उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में बृहस्पतिवार तड़के चार स्थानों पर बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में 14 लोग लापता हो गए और 20 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

देहरादून में राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) पहुंचकर नंदानगर में अतिवृष्टि से उत्पन्न हालात की जानकारी लेने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संवाददाताओं को बताया कि नंदानगर के चार अलग-अलग स्थान कुंतरी लगा फाली, कुंतरी लगा सरपाणीं, सेरा और धुर्मा में बादल फटने और भारी मात्रा में मलबा आने से 35 मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और कई दुकानों व गोशालाओं को नुकसान पहुंचा।

उन्होंने बताया, ‘‘इन घटनाओं में 14 लोग लापता हैं और लगभग 20 लोग घायल हुए हैं। इस आपदा से 200 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), पुलिस सहित विभिन्न एजेंसियां मौके पर पहुंच चुकी हैं। उन्होंने बताया कि चमोली के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी सुबह ही घटनास्थल की ओर रवाना हो गए थे। स्थानीय विधायक भूपाल राम टम्टा और कुछ स्थानीय लोग भी राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं।

मुख्यमंत्री ने बताया कि कुछ घायलों को निकटवर्ती अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जबकि गंभीर रूप से घायल लोगों को ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भेजा जा रहा है। इसमें एक बच्चा भी शामिल है जिसे सिर में चोट आई है। उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में कुछ लोग अभी भी अपने घरों में फंसे हुए हैं, जिन्हें वहां से निकालने की कार्रवाई जारी है।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास है कि सभी को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाए।’’

एक सवाल के जवाब में धामी ने कहा कि जब तक मानसून पूरी तरह से थम नहीं जाता, तब तक सभी जिलों के आपदा प्रबंधन से जुड़े लोग और एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित सभी एजेंसियां अलर्ट पर रहेंगी। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग से निरंतर संपर्क रखा जा रहा है और उनके पूर्वानुमान के अनुसार सावधानी बरती जा रही है।

इस बीच, चमोली जिला आपदा प्रबंधन केंद्र ने कुंतरी लगा फाली गांव में लापता एक परिवार के चार सदस्यों सहित आठ लोगों और धुर्मा गांव के दो लोगों की सूची जारी की है।

कुंतरी लगा फाली में कुंवर सिंह (42), उनकी पत्नी कांता देवी (38), उनके बेटे विकास (10) और विशाल (10), नरेंद्र सिंह (40), जगदम्बा प्रसाद (70) व उनकी पत्नी भागा देवी (65), देवेश्वरी देवी (65) लापता हैं। धुर्मा गांव से गुमान सिंह (75) और ममता देवी (38) लापता हैं।

चमोली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि मौके पर एक मेडिकल टीम और तीन एम्बुलेंस भेजी गई हैं।

अधिकारियों ने बताया कि नंदानगर को जोड़ने वाली सड़कें कई स्थानों पर बाधित हो गई हैं, जिन्हें दुरुस्त करने के प्रयास जारी हैं।

मौके पर अपनी टीम के साथ राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे कुंतरी गांव के निवासी एवं ‘इंडियन रेडक्रॉस’ की जिला शाखा के उप सभापति नंदन सिंह ने बताया कि दलदल और भारी मलबे के कारण राहत कार्यों में काफी कठिनाई हो रही है। उन्होंने बताया कि तेज बारिश के दौरान कुंतरी गांव के ऊपर पहाड़ी से तीन जगहों पर बरसाती नालों में भारी मात्रा में मिट्टी, मलबा, पानी और पत्थर बहते हुए आए, जिससे सब कुछ तबाह हो गया।

नंदन सिंह ने कहा, ‘‘कई लोग जैसे-तैसे बच निकले, लेकिन कुछ लोग मलबे में दब गए।’’उन्होंने बताया कि उसी पहाड़ी की दूसरी ओर स्थित मोख घाटी में भी भारी बारिश के कारण मोख नदी में बाढ़ आ गई, जिससे धुर्मा से सेरा तक कई भवन क्षतिग्रस्त हो गए।

पिछले माह के अंत में भी कुंतरी गांव में जमीन धंसने और गहरी दरारों के कारण लगभग 16 मकान खतरे की जद में आ गए थे, जिसके बाद वहां के 64 लोगों को राहत शिविरों में भेजा गया था।

इस मानसून सीजन में उत्तराखंड को लगातार कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है। दो दिन पहले ही बादल फटने और भारी बारिश के कारण बाढ़ व भूस्खलन की घटनाओं में देहरादून में भारी तबाही हुई थी, जिसमें 21 लोगों की मौत हो गई और 17 अन्य लापता हो गए थे।

देहरादून में आई आपदा का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अवरुद्ध मार्गों और बाधित बिजली-पानी आपूर्ति जैसी सुविधाओं को बहाल करने का कार्य जारी है। उन्होंने कहा कि अब तक कई सुविधाएं दुरुस्त की जा चुकी हैं।

धामी ने कहा कि आपदा के कारण शिविरों में रह रहे लोगों का हर प्रकार से ध्यान रखा जा रहा है और सरकार जल्दी से जल्दी स्थिति सामान्य करने का प्रयास कर रही है।

एक प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि चारों धामों की यात्रा सुचारू रूप से जारी है, लेकिन यात्रियों से अपील है कि वे मौसम के पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर अपनी यात्रा का नियोजन करें ताकि किसी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने कहा, ‘‘हर यात्री की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमारा संपूर्ण प्रयास है कि सभी यात्रियों की यात्रा सुरक्षित और सुगम हो।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में भी दुनिया के हर हिस्से की तरह जलवायु परिवर्तन का प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस क्षेत्र में काम करने वाले संस्थानों का सहयोग लेकर आपदाओं से होने वाली क्षति को कम करने के लिए परीक्षण और सर्वेक्षण कराएगी।

केदारनाथ में 17 सितंबर से दोबारा शुरू हुई हेलीकॉप्टर सेवाओं के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जाएगा।  उन्होंने बताया कि इसके लिए देहरादून और सिरसी में एक-एक हवाई यातायात नियंत्रक (एटीसी) स्थापित कर दिए गए हैं।

 




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