
पिछले साल टी-20 विश्व कप के फाइनल में भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने डेविड मिलर का कैच पकड़कर पांसा पलट दिया था।
इस कैच को यादगार कैचों में शुमार किया जाता है। पर रोमांच पैदा करने वाले इस तरह के कैच अब देखने को नहीं मिलेंगे। बनी होप कहलाने वाले इन कैचों को आईसीसी के नियम बनाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने अवैध करार दे दिया है। इस तरह के कैचों के लिए अब नया नियम बना दिया है।
एमसीसी द्वारा बनाए नए नियम के हिसाब से कोई खिलाड़ी बाउंड्री लाइन पर मौजूद फील्डर यदि कैच पकड़ने के लिए उछलता है और वह गेंद पकढ़ते समय समझता है कि वह सीमा रेखा के बाहर जा रहा है तो वह गेंद को उछालकर सीमा रेखा के अंदर पकड़कर ही कैच पूरा कर सकता है। अगर वह गेंद सीमा रेखा के बाहर उछालकर और फिर बाहर जाकर हवा में रहते हुए, फिर से गेंद को अंदर उछालकर पड़ता है तो इस कैच को मान्य नहीं माना जाएगा। इसके अलावा खिलाड़ी ने बाउंड्री लाइन से बाहर जाकर हवा में रखकर गेंद उछाली तो खुद उसे ही मैदान में अंदर आकर पकड़ना होगा। अगर कोई दूसरा फील्डर इस मैच को पकड़ता है तो इसे अमान्य कर दिया जाएगा। क्रिकेट नियमों बदलाव एक अनवरत प्रक्रिया है।
खेल को और रुचिकर बनाने के उद्देश्य से नियमों में बदलाव हमेशा ही होते रहे हैं। इन नियमों में बदलाव का उद्देश्य एक तो बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों में संतुलन बनाए रखना होता है। पिछले कुछ सालों में बनी होप कैचों ने क्रिकेट में नया रोमांच तो पैदा किया है। पर कई बार दर्शकों को लगता है कि यह बल्लेबाजों के प्रति अन्याय है और जिस शॉट पर उसे छक्का मिलना चाहिए था, उस पर उसे आउट दे दिया गया। 2023 की बिग बैश लीग में माइकल नेसर द्वारा पकड़े एक कैच पर सवाल उठे।
इसी तरह बिग बैश लीग में ही 2020 में मैथ्यूवेड के कैच को लेकर भी सवाल उठे तो इस पर आईसीसी ने कैच के इस नियम की एमसीसी से समीक्षा करने को कहा था। एमसीसी ने समीक्षा के दौरान पाया कि यदि गेंद को उछालने वाला ही मैदान में अंदर आकर कैच पकड़े तब ही कैच मान्य होगा। मैथ्यू वेड के कैच मामले में मैट रैनशॉ बाहर से अंदर गेंद उछालने के बाद खुद बाहर ही गिर गए थे। अब नये नियम में सिर्फ एक बार ही गेंद को हवा में उछाला जा सकेगा। यह नियम श्रीलंका और बांग्लादेश के बीच 17 जून से गॉल में खेले जाने वाले टेस्ट से लागू होगा। असल में इस टेस्ट से विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की नई साइकिल शुरू हो रही है।
एमसीसी अधिकृत तौर पर इस नियम को अक्टूबर 2026 से लागू करेगा। आईसीसी क्रिकेट को लोकप्रिय बनाने के लिए नियमों में बदलाव करता रहता है। इस सोच का ही नतीजा है कि टेस्ट मैचों से शुरुआत के बाद यह वनडे और टी-20 प्रारूप तक आ पहुंचा है। साथ ही आईसीसी की क्रिकेट समिति भी समय-समय पर हालात के हिसाब से नियमों में बदलाव करती रहती है। जिस तरह कोविड के समय में लार के माध्यम से वह फैल सकता था, तो गेंद की चमक बनाए रखने के लिए लार के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। इसके लिए गेंदबाजों ने पसीने का इस्तेमाल करना शुरू किया, लेकिन लार के इस्तेमाल पर रोक से गेंदबाजों को रिवर्स स्विंग में दिक्कत आने लगी, क्योंकि वह गेंद की एक साइड को चमका नहीं पा रहे थे।
पर आईपीएल के इस सत्र में लार के इस्तेमाल की छूट दे दी गई। हम सभी जानते हैं कि क्रिकेटप्रेमियों को स्टेडियम तक खींचकर लाने में बल्लेबाजों के विस्फोटक अंदाज की सबसे अहम भूमिका होती है। ऐसा नहीं है कि क्रिकेटप्रेमी अच्छी गेंदबाजी को पसंद नहीं करते हैं। पर उन्हें मजा चौके-छक्के देखने में ही आता है। इस कारण ज्यादातर नियम बल्लेबाजों के पक्ष वाले ही होते हैं, क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोगों के मैच देखने का आईसीसी की कमाई से सीधा संबंध होता है। पर आईसीसी इस बात का ख्याल भी रखता है कि बल्लेबाजी और गेंदबाजी में संतुलन बना रहे।
इसी को ध्यान में रखकर वनडे मैचों में दो गेंदों के इस्तेमाल की शुरुआत हुई, क्योंकि पहले गेंद पुरानी होते ही बल्लेबाज हावी हो जाया करते थे। पर एमसीसी ने दो गेंदों के नियम में भी थोड़ा बदलाव किया है। अभी तक 50 ओवर के मैच में एक गेंद से 25 ओवर फेंके जाते थे। पर नए नियम के मुताबिक वनडे मैचों में 34 ओवर तक दो गेंदों से गेंदबाजी होगी और बाकी 16 ओवरों के लिए फील्डिंग टीम इन दो गेंदों में से किसी एक गेंद का इस्तेमाल कर सकेगी।
आईसीसी ने कुछ सालों पहले खेल रहे किसी खिलाड़ी के चोटिल होने पर उसकी जगह खिलाड़ी देने के लिए कन्कशन नियम बनाया था। इसमें खिलाड़ी के चोटिल होने पर ही बताया जाता था कि उसकी जगह किसे खिलाएंगे, लेकिन अब टीमों को मैच शुरू होने से पहले मैच रेफरी को कन्कशन के लिए पांच खिलाड़ियों की सूची सौंपनी होगी। इसमें एक बल्लेबाज, एक कीपर, एक तेज गेंदबाज, एक स्पिनर और एक ऑलराउंडर का नाम शामिल करना होगा।
मनोज चतुर्वेदी |
Tweet