नोएडा स्टेडियम में चले 14वें महाकौथिग मेले ने स्टेडियम को मिनी उत्तराखंड में तब्दील कर दिया था। दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे पहाड़ी समुदाय के लोगों ने अपनी संस्कृति का रंगारंग प्रदर्शन किया।
इस भव्य मेले में दिल्ली-एनसीआर में रह रहे उत्तराखंड के प्रवासी आम-ओ-खास लोग बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं।
21 से 25 दिसम्बर तक चले वार्षिक महाकौथिग मेले ने न केवल पहाड़ी संस्कृति को बढ़ावा दिया, बल्कि प्रवासी उत्तराखंडियों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने का मौका भी प्रदान किया।
मेले में पारंपरिक खान-पान, वेशभूषा, लोक कला और गीत-संगीत की भी खास प्रस्तुति थी।
यह आयोजन पहाड़ी संस्कृति और रीति-रिवाजों को जीवंत रखने के साथ ही नई पीढ़ी को अपनी विरासत से जोड़ने में अहम भूमिका निभाने का था।
हर वर्ष की तरह इस साल भी नोएडा स्टेडियम में महाकौथिग मेले का आयोजन किया गया।
बता दें कि इस मेले में मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी शिरकत की।
जहां उन्होंने सभी लोगों का आभार व्यक्त किया और उत्तराखंड संस्कृति को एक मंच के माध्यम से प्रस्तुत किए जाने को लेकर खुशी जाहिर की।
धामी ने कहा कि देवभूमि में बहुत सी ऐसी वस्तुएं हैं, जो नोएडा एनसीआर तक बहुत कम पहुंच पाती है, इस मेले के आयोजन से वह चीजें आसानी से लोगों तक पहुंचेंगी।
उन्होंने कहा कि यह एक मेला ही नहीं है, बल्कि उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति भी है।
मेले में विभिन्न हिस्सों से पहुंचे पहाड़ी समुदाय के लोगों ने अपनी कला, संस्कृति और साहित्यिक विरासत का प्रदर्शन किया और इसी कड़ी में इस मेले के मंच पर हर साल की तरह इस बार भी काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें रमेश घिन्दियाल, रघुवर दत्त शर्मा, बृज मोहन बेदवाल, पृथ्वी सिंह केदारखंडी, जगत कुमौनी, किरण पंत, रमेश हितैषी, कुंज बिहारी मुंडेनी, राजेन्द्र सिंह भंडारी, डॉ बिहारी लाल जालंधरी, दिनेश ध्यानी और भगवती जुयाल गंदेशी जैसी पहाड़ की नामी गिरामी साहित्यिक हस्तियों ने शानदार प्रस्तुतियों से सबका मन मोह लिया।
समयलाइव डेस्क नई दिल्ली |
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