सावन की तीज में महिलाएं व्रत रखती हैं। इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए करती हैं और विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए करती हैं। जिन कन्याओं की सगाई हुई है उन्हें अपने भविष्य के सास-ससुर से एक दिन पहले ही भेंट मिलती है। इस भेंट को स्थानीय भाषा में सिंझारा कहते हैं। सिंझारा में अनेक वस्तुएं होती हैं। जैसे- मेंहदी, लाख की चूड़ियां, लहरिया नामक विशेष वेश-भूषा, जिसे बांधकर रंगा जाता है और एक मिष्टान जिसे घेवर कहते हैं। इसमें अनेक वस्तुएं होती हैं, जिसमें वस्त्र और मिष्ठान होते हैं।
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