Work From Home: घर से कार्य की संस्कृति ने बदला काम करने का अंदाज

June 22, 2021

विश्वव्यापी कोविड-19 महामारी के खौफ को देखते हुए बड़ी संख्या में कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम विकल्प को अपनाना शुरू कर दिया है।

पिछले साल कोविड-19 महामारी के दस्तक देने के बाद दफ्तर बंद करने को मजबूर हुई अनेक कंपनियों को घर से काम कराना पड़ा। अब, एक साल बाद धीरे-धीरे कर्मचारियों ने इस कार्य संस्कृति के अपनाना शुरू कर दिया है।

आईटी कंपनी में काम करने वाले मोहित गुप्ता अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि घर से काम करने के लाभ और नुकसान दोनों हैं। ''एक ओर जहां इसने कार्य-जीवन के संतुलन को बर्बाद कर दिया है तो दूसरी ओर मुझ जैसे लोग शुक्रगुजार हैं क्योंकि इसकी वजह से मैं और मेरा परिवार सुरक्षित है। ''

माइक्रोसॉफ्ट के कार्य प्रवृत्ति सूचकांक 2021 जिसमें कहा गया है कि उधिक उत्पादकता की वजह से कार्यबल (कर्मियों) पर काम का बोझ बढ़ गया है, से सहमति जताते हुए गुप्ता कहते हैं, ''आज मुझे इतना काम था कि मैं नहा भी नहीं सका। दफ्तर के समय में वृद्धि हुई है और मैं सुबह नौ से रात 11 बजे तक काम में लगा रहता हूं, जिसकी वजह से मैं अपने परिवार को समय नहीं दे पाता। ''

गुप्ता (35) के पास लगभग 15 लोगों की टीम हैं। उन्होंने कहा कि कई कर्मचारियों के पास दफ्तर में मौजूद होने वाली सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने कहा, ''आईटी सेक्टर में होने के चलते हमें कई तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग तकनीक में माहिर नहीं तो कुछ के पास लैपटॉप नहीं है तो किसी के यहां इंटरनेट नहीं है। लिहाजा, दफ्तर से बाहर काम करने में कई मुश्किलें हैं। ''

उन्होंने कहा, ''लोग अब जूम कॉल्स, वीपीएन, एनीडेस्क जैसी तकनीकों से अवगत हुए हैं। इससे हम घरों में बैठकर काम कर पाते हैं। इन्होंने हमें भविष्य में भी घरों में रहकर काम करने की सुविधा प्रदान की है।''

एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका पायल के लिए घर के काम देखना, दो साल की बेटी को संभालना और ऑनलाइन कक्षाएं लेना बेहद थकाऊ हो जाता है। पायल के अनुसार विवाहित महिला के लिये घर से काम करना बेहद कठिन है।

वह कहती हैं, ''सुबह में घर का बहुत काम होता है और उस समय मुझे ऑनलाइन कक्षाएं भी लेनी पड़ती हैं। कभी-कभी मैं रसोई में काम करते हुए ई-वेबिनार सत्र में हिस्सा लेती हूं ।''

ट्रैवल कंपनी 'द टार्ज़न वे' के सीईओ शिखर चड्ढा ने एक नियोक्ता का दृष्टिकोण साझा करते हुए कहा, ''शुरुआत में, घर से काम बहुत मुश्किल था क्योंकि हम इससे परिचित नहीं थे। फोन पर समन्वय स्थापित करना चुनौतीपूर्ण था लेकिन अंततः हमने इसे स्वीकार कर लिया।''

वह कहते हैं, ''लॉकडाउन पूरी तरह हटने के बाद हम हाइब्रिड मोड अपनाएंगे, जिसमें हम सप्ताह में दो दिन कार्यालय जाएंगे और अन्य दिनों में घर से काम करेंगे। इससे हमें दफ्तर की जगह का किराया बचाने में भी मदद मिलेगी। ''

चड्ढा घर से काम करने के फायदे रेखांकित करते हुए कहते हैं कि अब हम दुनिया के किसी भी कोने से कर्मचारी को नियुक्त कर सकते हैं। अब हमारे सामने कार्यस्थल पर उपस्थित होने और उसी शहर में निवास जैसी बाधा नहीं है।


भाषा
नई दिल्ली

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