देश मना रहा अलग-अलग परंपराओं के रंग से सजा मकर संक्रांति का त्योहार

January 14, 2022

देशभर में आज मकर संक्रांति और पोंगल समेत कई त्योहारों का जश्न मनाया जा रहा हैं। अलग-अलग परंपराओं के रंग से सजा यह पर्व अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है।

आज के दिन से सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होने की शुरुआत होती हैं। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के समय को शुभ माना जाता है और मांगलिक कार्य आसानी से किए जाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का  काफी महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सारे पाप कट जाते  हैं और लोग पुण्य के भागी होते हैं।गंगा स्नान के बाद लोग सूर्य को अर्ध्य  देते हैं और विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना करते है। मकर संक्रांति के दिन तिल, खिचड़ी, अन्न और धन दान करने का भी विशेष महत्व है।

आइए जानते हैं कि अलग-अलग रीतिरिवाज से सजा यह पर्व देश के अन्य राज्यों में कैसे मनाया जा रहा है...

यूपी में मकर संक्राति...

दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक माघ मेला के पहले स्नान  पर्व मकर संक्रांति पर पतित पावनी गंगा,श्यामल यमुना और अन्त:  सलिला स्वरूप में प्रवाहित रस्वती के त्रिवेणी संगम में वैश्विक महामारी  कोरोना पर आस्था का सैलाब भारी पड़ रहा है। देश के कोने कोने से  पहुंचे माघ मेले के पहले स्नान पर्व मकर संक्रांति पर त्रिवेणी के तट पर कोरोना को धता बताकर गंगा में श्रद्धालुओं डुबकी लगाने पहुंचे हैं।

भय पर विश्वास की जीत कराते हुए लाखों भक्तों ने 'मकर संक्रांति' के शुभ अवसर पर संगम में पवित्र स्नान किया। भक्तों ने मास्क और सामाजिक दूरी की परवाह किए बिना पवित्र डुबकी लगाई। श्रद्धालु संगम में स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य दिया। महिलाओं ने गंगा किनारे फूल धूप और दीप से मां गंगा से परिवार के  लोगों की मंगल कामना के साथ कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना किया। कुछ  श्रद्धालुओं ने गंगा मां को दूध भी अर्पण किया। पूजन अर्चन कर गृहस्थों ने  स्नान कर घाट पर बैठे पण्डे और पुरोहितों को चावल, आटा, नमक दाल, तिल चावल और तिल से बने लड्डू आदि का दान किया।

बिहार में मकर संक्राति का पर्व

चूड़ा-दही के पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर पटना के आस-पास के ग्रामीण इलाकों से गंगा नदी के पवित्र जल में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला दो दिन पूर्व से ही शुरु हो गया था, जो आज सुबह तक जारी रहा। कोरोना महामारी और हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के बावजूद भक्तों ने सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही गंगा स्नान शुरू किया।

इलाकों के अलावा शहर के विभिन्न मुहल्लों से श्रद्धालुओं ने राजधानी के महेन्द्रू घाट, समाहरणालय घाट, काली घाट, भ्रद घाट, गांधी घाट, कृष्णा घाट समेत विभिन्न घाटों पर जाकर गंगा नदी में स्नान किया और भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना की। मकर संक्रांति के दिन भगवान भास्कर और विष्णु पूजा का विशेष महत्व है।

इस दिन पतंगबाजी करते लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा है। लोग सुबह से ही चूड़ा-दही खाने के बाद अपने घर की छतों पर चले गये और पंतगबाजी का आनंद ले रहे हैं। बच्चों और युवाओं में पतंगबाजी का जोश देखने को मिल रहा है। आकाश में रंग-बिरंगी अठखेलियां करते पतंग को देख हर किसी का मन पतंग उड़ाने के लिए लालायित हो उठा है।

गंगा स्नान के बाद सूर्य दर्शन कर परिजनों के साथ लोग आकाश में रंग बिरंगे पतंगों को उड़ाकर आनंदित हो रहे हैं। यूं तो बाजार में किस्म-किस्म के पतंगों की बिक्री हो रही है।

देशभर से हजारों श्रद्धालुओं ने गंगासागर में लगायी डुबकी

मकर संक्रांति के मौके पर गुरुवार को बंगाल की खाड़ी में गंगा के संगम गंगासागर में देश भर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। कोविड-19 के परिप्रेक्ष्य में कड़े स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकाल का श्रद्धालुओं ने पालन किया। श्रद्धालु सुबह से गंगा के किनारे एकात्र हो गये थे और ठंड एवं सर्द हवाओं की परवाह न करते हुए नदी में डुबकी लगायी। श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए घाटों पर काफी संख्या में पुलिस को तैनात किया गया था।

तमिलनाडु में फसल का त्योहार पोंगल मनाया जा रहा है

तमिलनाडु में गुरुवार को पारंपरिक फसल का त्योहार पोंगल धार्मिक उत्साह और आमोद प्रमोद के साथ मनाया जा रहा है। राज्य में हर वर्ष पोंगल तमिल शुभ माह ‘थाई’ के पहले दिन पड़ता है और लोग स्नान ध्यान कर सूर्य भगवान की पूजा कर इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, मीठा पोंगल और चावल, दाल, गुड़ और दूध से बने पारंपरिक पकवान बनाते है और किसानों के इसपर्व पर सूर्य देवता को पकवान अर्पित करते हैं।

थाई पोंगल मुख्य रूप से कृषि के लिए ऊर्जा प्रदान करने के लिए सूर्य देव की सराहना व्यक्त करने के लिए मनाया गया है। इस अवसर पर मदुरै में, आदमी और जानवर के बीच प्रसिद्ध प्रतियोगिता ‘अवनियापुरम जल्लीकट्टू’ का आयोजन किया जाता है, जिनमें विजेताओं को कई पुरस्कार दिए गए। कई घरों के सामने रंग-बिरंगे ‘कोल्लम‘ (रंगोली) बनाई जाती है, जिनमें लोगों की पोंगल की शुभकामनाएं दी जाती हैं, वहीं आगामी साल अच्छा रहे, इसके लिए ईश्वर से प्रार्थना भी की जाती हैं।
 


ऐजेंसी
नई दिल्ली

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