हार्ट अटैक के मामले पहले अधिक उम्र के लोगों में ही देखने को मिलते थे, लेकिन आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हार्ट अटैक के मामले युवाओं में जिस तेजी के साथ युवाओं में बढ़ रहे हैं, वो चौंकाने वाले हैं।
हार्ट अटैक ज्यादातर युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है और इसी वजह से भारत का हर दूसरा युवा इस बीमारी से बेहद चिंतित है। भारत के हर युवाओं के मन में यही सवाल रहता है कि आखिर अपनी जीवन शैली में ऐसे कौन से फेरबदल करें, जिससे हार्ट अटैक से खुद को सुरक्षित रखा जा सके।
डॉक्टर का मानना है कि प्राय: ब्लड फ्लो कम होने या अवरुद्ध होने की वजह से हार्ट अटैक के मामले युवाओं में देखने को मिलते हैं, डाक्टर का कहना है कि इस तरह की स्थिति तब पैदा होती है, जब कोरोनरी धमनियों में वसा और कोलेस्ट्रॉल जमा हो जाता है। डाक्टरों की भाषा में आपको बताएं कि इस जमाव को ‘प्लाक’ कहा जाता है। प्लाक का जमा होना धमनियों को संकीर्ण कर सकता है। इससे ब्लड फ्लो कम होता है और इसी वजह से हार्ट अटैक के मामले युवाओं में देखने को मिलते हैं। डॉक्टर हार्ट के पीछे की कई और भी वजह बताते हैं।
आमतौर पर युवाओं में हार्ट अटैक का खतरा खराब तरीके से जीवन शैली बनाने से। भागमभाग की जिंदगी में युवाओं व्यायाम करने का अभाव रहता है और सबसे ज्यादा जो नुकसान होता है वो है तेल वाले पदार्थों का सेवन करने से होता है। दूसरा यह कि देश में जंक फूड खाने का चलन बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है, जिससे लोग अनभिज्ञ हैं, जोकि शरीर के लिए बहुत ज्यादा नुकसान देय है, उससे भी बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा। शहरों में ज्यादातर लोगों समस्या यह भी है कि रात को देर से सोना और सुबह जल्दी उठ जाना, जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती, यह भी एक कारण भी युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ सकते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर आप प्रतिदिन आधे घंटे व्यायाम करें, तो इससे आप हार्ट अटैक के खतरे को काफी हद तक कम कर सकते हैं। अपने आहार में फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज का इस्तेमाल करें और धूम्रपान, शराब और सिगरेट का सेवन करने से परहेज करें, क्योंकि इस तरह के पदार्थों के सेवन से हार्ट अटैक के खतरे बढ़ जाते हैं। जैसा कि उपरोक्त बताया कि नींद का अभाव भी हार्ट के खतरे को बढ़ाता है, इसलिए लोगों को प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद प्रत्येक व्यक्ति को लेना अनिवार्य है। इसके अलावा, समय-समय पर हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे टेस्ट कराते भी कराते रहना चाहिए, इससे आपको अपनी स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में जानकारी भी मिलती रहेगी।
सुरेन्द्र देशवाल, समय डिजिटल डेस्क नई दिल्ली |
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