देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाना ट्रेड यूनियन के लिए चुनौती

November 26, 2020

आज (बृहस्पतिवार को) होने वाली देशव्यापी हड़ताल को सफल बनाना ट्रेड यूनियन के लिए बड़ी चुनौती है।

कोरोना के मामले फिर से बढ़ने की वजह से ट्रेड यूनियन को श्रमिकों से संपर्क करने में काफी मुश्किल हो गई है। बीएमएस के साथ नहीं देने की वजह से कोयला खदानों के पौने तीन लाख से ज्यादा श्रमिकों में से कितने हड़ताल पर रहेंगे इसका अनुमान अभी ट्रेड यूनियन भी नहीं लगा पा रही हैं।
कोयला क्षेत्र की 12 कंपनियों में से एक साउथ इस्टर्न कोल फील्ड में ही काम ठप रहने का अनुमान है। विलासपुर मुख्यालय वाली इस कंपनी में 59,000 श्रमिक काम करते हैं। कोयला श्रमिकों की हड़ताल में कम रूचि की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि वह निजीकरण के खिलाफ लंबी हड़ताल चाहते थे। लंबी हड़ताल के लिए ट्रेड यूनियन के बीच सहमति नहीं बन सकी। कोयला श्रमिकों के वरिष्ठ नेता नाथूलाल पांडे ने बताया कि वह एक हफ्ते से कोरोना संक्रमित हैं, इसलिए श्रमिकों से मिल नहीं पा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि टेलीफोन से ही वह हड़ताल के लिए श्रमिकों से जितना संभव हो सकता है संवाद कर पा रहे हैं। श्रमिक नेता ने भी कहा कि अभी से यह बता पाना संभव नहीं है कि कोयला क्षेत्र के कितने श्रमिक काम बंद रखेंगे। हालांकि, एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने रात में भी वीडियो संदेश जारी करके दावा किया कि 10 ट्रेड यूनियन (इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी) की हड़ताल सफल होगी। उन्होंने कहा कि हड़ताल की पुख्ता तैयारी है और उन्हें भरोसा है कि हर क्षेत्र में काम ठप रहेगा। एटक नेता ने कहा कि पीएसयू, केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी संगठन के साथ-साथ कृषि श्रमिक बड़ी तादाद में हड़ताल करेंगे। उन्होंने कहा कि आगे ट्रेड यूनियन अपना विरोध और तेज करेंगे।

यह है मांग
- गैर आयकरधारी परिवारों को 7500 रुपए प्रति माह दिया जाए
- 10 किलो फ्री राशन, गरीब परिवार को राशन कार्ड और आधार के बिना हर माह दिए जाए
- मंदी में मनरेगा शहरी क्षेत्र में भी लागू हो। मनरेगा में 200 दिन काम और मजदूरी भी बढ़ाई जाए
- पेंशन सभी के लिए। ईपीएस 95 पेंशन योजना में सुधार किया जाए।
- पीएसयू का निजीकरण वापस लिया जाए
- नए कृषि कानून और लेबर कोड वापस लिए जाएं


सहारा न्यूज ब्यूरो/अजय तिवारी
नई दिल्ली

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