भारत के ‘मार्स आर्बिटर’ (मंगलयान) ने अपनी कक्षा में आठ साल पूरे कर लिए हैं, जबकि इसे छह साल तक सेवा देने के लिए ही तैयार किया गया था।
हालांकि, ‘लाल ग्रह’ (मंगल) के लिए अभियान को आगे बढ़ाने की योजना पर आगे बढ़ना अभी बाकी है। मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पहला अंतर-ग्रहीय अभियान है। इसे पांच नवम्बर 2013 को अंतरिक्ष में भेजा गया था। मंगलयान को उसके पहले ही प्रयास में सफलता पूर्वक मंगल की कक्षा में 24 सितम्बर 2014 को प्रवेश कराया गया था। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को हासिल करने के उपलक्ष्य में इसरो ने भारत के मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) के आठ साल पूरे होने पर यहां मंगलवार को इसरो के मुख्यालय में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है। इसमें इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ उद्घाटन भाषण देंगे।
अंतरिक्ष आयोग के सदस्य के. राधाकृष्णन और ए एस किरण कुमार कार्यक्रम में ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन ओवरव्यू’, ‘वैज्ञानिक उपलब्धियां’ और ‘आंतरिक सौर मंडल के अन्वेषण में भविष्य की दिशा’ विषय पर विशेष संबोधन देंगे।
उल्लेखनीय है कि इसरो ने 2016 में भविष्य के मार्स ऑर्बिटर मिशन के लिए एक घोषणा की थी, लेकिन अधिकारियों ने स्वीकार किया कि यह अब भी योजना के स्तर पर ही है क्योंकि आगामी गगनयान, चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 अंतरिक्ष की मौजूदा प्राथमिकता सूची में है।
इसरो ने कहा था, ‘यह भविष्य के प्रक्षेपण के लिए अब मंगल के अगले आर्बिटर मिशन की योजना है। इसमें रुचि रखने वाले वैज्ञानिकों से मार्स (एमओएम-2) के आर्बिटर मिशन पर प्रयोगों के लिए प्रस्ताव मांगे गये हैं।’ अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एमओएम-2 के बारे में पूछे जाने पर सोमवार को कहा, ‘यह अभी मंजूरी प्राप्त सूची में नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘हमें परियोजना प्रस्ताव तैयार करने और अनुसंधान समुदाय से व्यापक परामर्श करने की जरूरत है। यह अब भी योजना के स्तर पर ही है। लेकिन मिशन को अंतिम रूप देने के लिए कुछ अधिक विवरण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है। ’ एमओएम के कार्यक्रम निदेशक एम अन्नादुरई ने मार्स आर्बिटर के कक्षा में आठ साल पूरे करने पर कहा, ‘यह संतोषजनक और उम्मीदों को पूरा करने वाला क्षण है।’
भाषा बेंगलुरु |
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