इस्लाम व ईसाई धर्म अपनाने वाले दलितों को नहीं दे सकते ‘एससी’ दर्जा

December 8, 2022

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि ‘संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश, 1950 किसी ‘असंवैधानिकता’ से ग्रसित नहीं है और ईसाई तथा इस्लाम को इस कारण बाहर रखा गया कि छुआछूत की उत्पीड़क व्यवस्था इन दोनों धर्मों में मौजूद नहीं थी।

समय-समय पर संशोधित किए गए संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश,1950 में कहा गया है कि हिंदू, सिख और बौद्ध धर्म को छोड़ कर अन्य धर्म मानने वाले किसी व्यक्ति को अनुसूचित जाति (एससी) का सदस्य नहीं माना जाएगा।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट स्वीकार नहीं की है, जिसमें दलित ईसाईयों और दलित मुस्लिमों को अनुसूचित जातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश की गई थी क्योंकि यह त्रुटिपूर्ण थी।

सरकार ने एक याचिका पर शीर्ष न्यायालय में दाखिल एक जवाब में इन मुद्दों को रेखांकित किया। याचिका में कहा गया, संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश,1950 भेदभावपूर्ण और संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और 15 (धर्म, नस्ल, जाति आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध) का उल्लंघन करता है।


भाषा
नई दिल्ली

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