प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को गुयाना की संसद के विशेष सत्र को संबोधित करेंगे। यह संबोधन उनकी बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता में एक और मील का पत्थर साबित होगा। इससे पहले उन्हें गुयाना के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस' से सम्मानित किया गया।
पीएम मोदी का यह भाषण 14वां अवसर होगा जब वह किसी विदेशी संसद में भारत की ओर से बोलेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी को विदेशी संसदों में सबसे अधिक बार भाषण देने वाले भारतीय प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त है। यह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा सात विदेशी संसदों में दिए भाषणों की संख्या से दोगुना है।
इंदिरा गांधी ने विदेशी संसदों को चार बार संबोधित किया था, जबकि जवाहरलाल नेहरू ने तीन बार। राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी ने दो बार ऐसे भाषण दिए, वहीं मोरारजी देसाई और पीवी नरसिम्हा राव ने केवल एक बार किसी विदेशी संसद को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और एशिया की संसदों में भाषण दिए हैं। महाद्वीपों से परे उनके भाषण वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते प्रभाव का प्रमाण हैं।
पीएम मोदी के पिछले संबोधनों की बात करें तो उन्होंने दो बार अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई - 2016 में और फिर 2023 में।
2014 में, प्रधानमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रेलिया और फिजी की संसदों को संबोधित किया। 2015 में, उन्होंने ब्रिटिश संसद को संबोधित किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में मॉरीशस की नेशनल असेंबली और 2018 में युगांडा की संसद को संबोधित किया।
2014 में पीएम मोदी ने भूटानी संसद और नेपाल संविधान सभा के संयुक्त सत्र को, 2015 में श्रीलंका, मंगोलिया और अफगानिस्तान की संसदों को और 2019 में मालदीव की संसद को संबोधित किया।
आईएएनएस नई दिल्ली |
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