विश्व बैंक द्वारा इकट्ठा किए गए लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में 129 अरब डॉलर के अनुमानित इनफ्लो के साथ भारत रेमिटेंस प्राप्त करने वाले देशों की लिस्ट में टॉप पर है। इसके बाद 68 अरब डॉलर के साथ मैक्सिको, 48 अरब डॉलर के साथ चीन, 40 अरब डॉलर के साथ फिलीपींस और 33 अरब डॉलर के साथ पाकिस्तान का नाम आता है।
विश्व बैंक के एक ब्लॉग पोस्ट के अनुसार, इस वर्ष रेमिटेंस की वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि 2023 में यह 1.2 प्रतिशत रही थी।
रिपोर्ट के अनुसार, "कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद, आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के उच्च आय वाले देशों में नौकरी बाजारों की रिकवरी, रेमिटेंस के लिए अहम रही है। यह विशेष रूप से अमेरिका के लिए सच है, जहां विदेशी मूल के श्रमिकों का रोजगार लगातार बढ़ रहा है और फरवरी 2020 में देखे गए महामारी-पूर्व स्तर से 11 प्रतिशत अधिक है।"
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कम और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के आधिकारिक रूप से दर्ज किए गए रेमिटेंस इनफ्लो के साल 2024 में 685 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
ब्लॉग पोस्ट में कहा गया है कि रेमिटेंस कम और मध्यम आय वाले देशों में अन्य प्रकार के फाइनेंशियल आउटफ्लो से आगे निकल गया है और जनसांख्यिकीय रुझानों, आय अंतराल और जलवायु परिवर्तन की वजह से माइग्रेशन दबावों के कारण इसमें वृद्धि जारी रहेगी।
रेमिटेंस ने एफडीआई को भी काफी बड़े अंतर से पार कर लिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेमिटेंस और एफडीआई के बीच का अंतर 2024 में और बढ़ने की उम्मीद है।
पिछले दशक के दौरान, रेमिटेंस में 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि एफडीआई में 41 प्रतिशत की गिरावट आई।
ब्लॉग में कहा गया है, "देशों को रेमिटेंस के आकार और लचीलेपन पर ध्यान देने की आवश्यकता है और गरीबी में कमी, स्वास्थ्य और शिक्षा की फंडिंग, परिवारों के फाइनेंशियल इन्क्लूशन और सरकार तथा गैर-सरकारी उद्यमों के लिए पूंजी बाजारों तक पहुंच में सुधार के लिए इनफ्लो का लाभ उठाने के तरीके खोजने की आवश्यकता है।"
अर्थशास्त्री दिलीप राठा, सोनिया प्लाजायुंग और वित्तीय विश्लेषक जू किम द्वारा लिखे गए ब्लॉग पोस्ट में कहा गया है कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में निरंतर मजबूत फ्लो के कारण दक्षिण एशिया में रेमिटेंस फ्लो में 2024 में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज होने की उम्मीद है, जो 11.8 प्रतिशत है।
आईएएनएस नई दिल्ली |
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