
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को प्रस्तावित अमेरिकी शुल्क से करीब दो सप्ताह की राहत मिली है, क्योंकि जारी द्विपक्षीय वार्ता के तहत प्रौद्योगिकियों को शामिल करने वाले एक प्रमुख खंड की समीक्षा लंबित है। उद्योग जगत के लोगों और सरकारी सूत्रों ने यह बात कही।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर दोनों देशों के बीच जारी बातचीत में कुछ गतिरोध के संकेतों के बीच भारत पर एक अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की बुधवार को घोषणा की। इसके अलावा ट्रंप ने रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाने का भी फैसला किया है।
इस घोषणा को भारत पर अमेरिका की मांगों को मानने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
एक सरकारी सूत्र ने कहा, ‘‘ इलेक्ट्रॉनिक और प्रौद्योगिकी उत्पादों को शामिल करने वाली धारा 232 की समीक्षा दो सप्ताह बाद होने की उम्मीद है। जब अमेरिका ने मूल 10 प्रतिशत शुल्क लगाया था तब भी धारा 232 की समीक्षा लंबित होने के कारण प्रौद्योगिकी उत्पादों को छूट दी गई थी। अब भी यही स्थिति कायम है। हमें नहीं पता कि दो सप्ताह बाद क्या होगा।’’
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि 25 प्रतिशत शुल्क मौजूदा 10 प्रतिशत मूल शुल्क के अतिरिक्त लगाया जाएगा या नहीं। 10 प्रतिशत मूल शुल्क वर्तमान में कुछ को छोड़कर अधिकतर भारतीय वस्तुओं पर लागू है। इसकी घोषणा अमेरिका ने दो अप्रैल को की थी।
इसके अलावा, जुर्माने की सही राशि भी स्पष्ट नहीं है।
भारत से अमेरिका को होने वाले इलेक्ट्रॉनिक निर्यात का स्मार्टफोन, खासकर आईफोन सबसे बड़ा हिस्सा हैं।
ट्रंप खुले तौर पर एप्पल से भारत में आईफोन का उत्पादन बंद करने की मांग कर रहे हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप द्वारा घोषित 25 प्रतिशत शुल्क से भारत में आईफोन विनिर्माण के विस्तार के साथ-साथ अमेरिका को अन्य इलेक्ट्रॉनिक के निर्यात की एप्पल की योजनाओं पर असर पड़ने की आशंका है।
इंटरनेशनल डेटा कॉर्पोरेशन (आईडीसी) में भारत, दक्षिण एशिया एवं ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड के ‘डिवाइस रिसर्च’ के सह-उपाध्यक्ष नवकेंदर सिंह ने कहा, ‘‘भारत से अमेरिका को निर्यात पर 25 प्रतिशत शुल्क की अचानक की गई घोषणा से निश्चित रूप से एप्पल की अमेरिका को आईफोन निर्यात के लिए भारत को एक बड़ा निर्यात केंद्र बनाने की योजना को झटका लगेगा।’’
उन्होंने कहा कि एप्पल के आईफोन निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी करीब 25 प्रतिशत है, जो सालाना लगभग छह करोड़ है।
सिंह ने कहा, ‘‘ भारत में ‘असेंबल’ किए गए आईफोन से अमेरिका में आईफोन की मांग को पूरा करने के लिए भारत में विनिर्माण का महत्वपूर्ण विस्तार आवश्यक है जिस पर इन नए शुल्क का सीधा असर पड़ेगा।’’
कई सूत्रों के अनुसार, एप्पल इस साल आईफोन का उत्पादन 2024-25 में लगभग 3.5-4 करोड़ इकाई से बढ़ाकर छह करोड़ इकाई करने की योजना बना रहा है।
साइबरमीडिया रिसर्च इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप (आईआरजी) के उपाध्यक्ष (वीपी) प्रभु राम ने कहा, ‘‘ एप्पल की निकट भविष्य की चुनौतियों में भारत में ‘असेंबल’ किए गए आईफोन की अमेरिका को निर्यात की जाने वाली ऊंची लागत शामिल है जिससे मांग में कमी आ सकती है और आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि अमेरिका में उत्पादन की दिशा में कुछ दीर्घकालिक बदलाव हो रहे हैं, लेकिन भारत एप्पल की वैश्विक रणनीति में एक महत्वपूर्ण केंद्र बना रहेगा।’’
अमेरिका की ओर से यह झटका ऐसे समय आया है जब भारतीय इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन दबाव में है क्योंकि चीन ने कई महत्वपूर्ण घटकों, पूंजीगत वस्तुओं और यहां तक कि कुशल प्रौद्योगिकी पेशेवरों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा रखा है।
इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट्स इंडस्ट्री एसोसिएशन (एल्सीना) के महासचिव राजू गोयल ने कहा कि चीन के शत्रुतापूर्ण कदमों से आपूर्ति पक्ष प्रभावित हो सकता है और लागत बढ़ सकती है क्योंकि उत्पादन प्रभावित होगा, कम से कम अल्पावधि में जब तक कि विकल्प विकसित नहीं हो जाते।
गोयल ने कहा, ‘‘ अमेरिका के शुल्क में वृद्धि से निर्यात प्रभावित होगा, मांग घटेगी। इन दोनों कदमों के परिणामस्वरूप वृद्धि धीमी हो सकती है।’’
भाषा नई दिल्ली |
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