संभल में सन् 1978 में हुए साम्प्रदायिक दंगे की फाइलें अब खंगाली जाएंगी। इस संबंध में यूपी सरकार के उप सचिव गृह ने फिर से जांच करने के आदेश दे दिए हैं।
उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए दंगों के जांच प्रक्रिया तेज हो गई है। शासन से उपसचिव गृह पुलिस ने एक पत्र भेजकर पुलिस अधीक्षक (एसपी) को निर्देश दिया कि इस मामले की जांच के लिए एएसपी को नामित किया जाए। एएसपी को जांच का जिम्मा सौंप दिया गया है।
इससे पहले, जिलाधिकारी (डीएम) को एसपी ने पत्र लिखकर प्रशासनिक अधिकारी को नामित करने और संयुक्त जांच करने के लिए कहा, ताकि शासन को एक रिपोर्ट भेजी जा सके।
बता दें कि यह दंगे 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हुए हिंसा के बाद सामने आए। कुछ ही दिन बाद संभल में प्राचीन कार्तिक महादेव मंदिर का पुनः उद्घाटन हुआ। इस मौके पर पलायन कर चुके लोगों ने बताया कि 1978 में हुए दंगों के कारण ही वे अपने घर छोड़कर चले गए थे। उस समय संभल में कई हिंदुओं की हत्या हुई थी और कई जगह आगजनी भी हुई थी।
अब इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है और शासन को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट भेजी जाएगी।
स्थानीय बाशिंदों ने बताया कि दस्तावेजों में दर्ज आंकड़ों से कहीं ज्यादा लोग इस दंगे में मारे गए थे।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1978 के दंगे के संबंध में बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि इस दंगे में 184 लोग मारे गए थे और कई परिवारों को पलायन करना पड़ा था। पुलिस और प्रशासन अब दंगे में हुई मौतों का असली आंकड़ा पता लगाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि हम इस दंगे की जांच कराएंगे और पता लगाएंगे कि आखिर इसमें कितने लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।
वहीं, मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद इस संभल दंगे को लेकर चौतरफा चर्चा हो रही है। लोग इसे लेकर कई तरह की बातें कर रहे थे।
जानकारी के मुताबिक, 1978 में संभल में कई दिनों तक दंगा होता रहा। हालात इस कदर गंभीर हो गए थे कि कर्फ्यू तक लगाना पड़ा था। इस दंगे को लेकर 169 केस दर्ज किए गए थे।
आईएएनएस लखनऊ |
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