
उत्तर प्रदेश की बौद्ध विरासत को विश्व मानचित्र पर लाने के लिए योगी आदित्यनाथ नीत सरकार ने छह दिवसीय विशेष ‘बोधि यात्रा’ का आयोजन किया, जिसमें पांच आसियान देशों के 50 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
रविवार को एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस मिशन को आगे बढ़ाने की दिशा में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने केंद्रीय विदेश मंत्रालय के सहयोग से मेकांग-गंगा सहयोग (एमजीसी) के तहत ‘बोधि यात्रा’ का आयोजन किया।
दो जून से सात जून तक आयोजित हुई इस यात्रा का उद्देश्य राज्य के बौद्ध सर्किट के प्रमुख स्थलों को प्रदर्शित करना था।
इस यात्रा में पांच आसियान देशों कंबोडिया, लाओस, म्यांमा, थाईलैंड और वियतनाम के 50 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया। इस समूह में बौद्ध भिक्षु, ट्रैवल एजेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल थे।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश अपनी समृद्ध बौद्ध विरासत को वैश्विक मंच पर प्रचारित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि हाल में आयोजित ‘बोधि यात्रा’ का उद्देश्य श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कुशीनगर और सारनाथ जैसे प्रमुख बौद्ध स्थलों के साथ-साथ वाराणसी, लखनऊ और आगरा को विश्व पर्यटन मानचित्र पर प्रदर्शित करना था।
मंत्री ने कहा कि यात्रा के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने आनंद बोधि वृक्ष, जेतवन मठ, पिपरहवा स्तूप, महापरिनिर्वाण स्तूप, धामेक स्तूप, अशोक स्तंभ और कई बौद्ध संग्रहालयों जैसे महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण किया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने बौद्ध धर्म के महत्व को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है।
इससे पहले लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात कर प्रदेश की समृद्ध बौद्ध धरोहर की जानकारी दी।
पर्यटन विभाग ने पारंपरिक आतिथ्य और विशेष प्रस्तुतियों के साथ गर्मजोशी से उनका स्वागत किया और ‘बोधि यात्रा’ यात्रा कार्यक्रम में प्रत्येक स्थल के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक महत्व को दर्शाया।
पर्यटन मंत्री ने कहा कि योगी सरकार का यह प्रयास न केवल उत्तर प्रदेश की बौद्ध विरासत को विश्व मंच पर ले जाएगा, बल्कि वैश्विक पर्यटन को बढ़ावा देकर प्रदेश की आर्थिक समृद्धि में भी योगदान देगा।
भाषा लखनऊ |
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