
भारतीय स्पिनर वरुण चक्रवर्ती ने कहा है एशिया कप में पावरप्ले के दौरान गेंद कठोर रहने से स्पिनरों को ज्यादा मदद नहीं मिल रही इसके बाद गेंद नरम हो जाती है और क्षेत्ररक्षण की पाबंदियां नहीं रहने से मदद मिलती है।
एशिया कप में चार मैचों में छह से कम की प्रभावी इकॉनॉमी रेट से चार विकेट लेने वाले चक्रवर्ती का किस्मत ने साथ नहीं दिया क्योंकि टूर्नामेंट में उनकी गेंदों पर काफी कैच छूटे।
यह पूछे पर कि क्या इस टूर्नामेंट में आखिरी ओवरों में गेंदबाजी करते हुए उन्होंने ज्यादा सहज महसूस किया, तमिलनाडु के इस रहस्यमयी स्पिनर ने कहा कि गेंद नरम होने और फील्ड फैल जाने से मदद मिलती है।
चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘गेंद जब कठोर होती है तो स्पिनरों को मदद नहीं मिलती। स्पिनर के नजरिये से कहूं तो पावरप्ले या उसके ठीक बाद गेंदबाजी में इन पिचों पर मदद नहीं मिलती। लेकिन मैच आगे बढने और फील्ड के फैल जाने से हालात बेहतर हो जाते हैं।’’
उन्होंने कहा कि पावरप्ले में रनों की गति रोकने का विकल्प नहीं होता बल्कि आपको विकेट लेने होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पावरप्ले में मेरा लक्ष्य विकेट लेना ही होता है। मैं उस एक गेंद की तलाश करता हूं जो सही जगह पर पड़े और थोड़ा टर्न ले ताकि विकेट मिल सके।’’
चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘ऐसे में थोड़े रन भी चले जायें तो भी मैं आक्रामक गेंदबाजी करके विकेट लेने की ही कोशिश करता हूं।’’
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के खिलाफ भी गेंद पुरानी होने के बाद वह अधिक प्रभावी गेंदबाजी कर सके।
उन्होंने कहा, ‘‘गेंद पुरानी होने के बाद मुझे विकेट से मदद मिलने लगी।’’
भारत ने बांग्लादेश को 41 रन से हराया और रविवार को फाइनल में टक्कर चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से हो सकती है।
भाषा दुबई |
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