
विजेता ट्रॉफी अभी विजेताओं तक नहीं पहुंची जबकि एशिया कप के सबसे कटु फाइनल के एक दिन बाद राजनीति ही एकमात्र चर्चा का विषय बन गई। फाइनल भारत और पाकिस्तान के बीच मैदान के बाहर की कटुता के बारे में था जिसने क्रिकेट और इसकी प्रसिद्ध खेल भावना को दरकिनार कर दिया।
सूर्यकुमार यादव और उनकी टीम ने जबरदस्त धैर्य दिखाते हुए रोमांचक फाइनल में पांच विकेट से जीत हासिल की और पिछले एक पखवाड़े में अजेय रहते हुए नौवीं बार खिताब जीता।
लेकिन यह उपलब्धि वह चीज नहीं थी जिसने चर्चा को प्रभावित किया। हालांकि इस जीत के लिए टीम को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) से 21 करोड़ रुपये की भारी-भरकम पुरस्कार राशि मिली।
चर्चा का विषय इस पूरे मामले की राजनीति थी क्योंकि एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के प्रमुख मोहसिन नकवी भारतीय टीम द्वारा ट्रॉफी लेने से इनकार करने के बाद ट्रॉफी लेकर चले गए। नकवी पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख और अपने देश के गृह मंत्री भी हैं।
कारण? उनकी भारत विरोधी टिप्पणियां और इस साल की शुरुआत में पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा 26 भारतीयों की गोली मारकर हत्या के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ता राजनीतिक तनाव।
भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के साथ जवाबी कार्रवाई की थी और नकवी उन पाकिस्तानियों में शामिल थे जिन्होंने इस कार्रवाई का मजाक उड़ाया था क्योंकि भारतीय टीम ने पूरे टूर्नामेंट के दौरान पाकिस्तान टीम के प्रति ‘हाथ नहीं मिलाने की नीति’ का पालन किया।
महाद्वीपीय प्रतियोगिता में लगातार सात मैच जीतने के बावजूद सबसे बड़े इनाम से वंचित रहने के बाद सूर्यकुमार ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि जब से मैंने क्रिकेट खेलना और उसका अनुसरण करना शुरू किया है तब से मैंने कभी ऐसा नहीं देखा कि एक चैंपियन टीम को ट्रॉफी से वंचित कर दिया जाए। वह भी कड़ी मेहनत से हासिल की गई ट्रॉफी से। ऐसा नहीं है कि ये आसानी से मिली। यह टूर्नामेंट जीत कड़ी मेहनत से हासिल की गई थी।’’
रविवार को दुबई अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम पर भारत की जीत के बाद 90 मिनट तक पूरी तरह से नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला ।
भारतीय खिलाड़ी तुरंत मैदान पर आ गए थे और कुछ के साथ उनके परिवार भी थे । कप्तान सूर्यकुमार यादव की पत्नी देविशा, मुख्य कोच गौतम गंभीर की पत्नी नताशा और बेटियां भी मैदान पर थे और सभी बहुत खुश दिख रहे थे ।
भारतीय टीम से 20-25 गज की दूरी पर एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन नकवी अपने साथियों के साथ खड़े थे ।
समझा जाता है कि बीसीसीआई ने एसीसी से कहा था कि टीम नकवी से पुरस्कार नहीं लेगी जो भारत विरोधी रवैये के लिये जाने जाते हैं ।
नकवी ने कुछ दिन पहले ही एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें फुटबॉलर क्रिस्टियानो रोनाल्डो विमान क्रैश होने का इशारा करके गोल का जश्न मना रहे थे । नकवी का इशारा पाकिस्तान के उस दावे की ओर था कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उन्होंने भारत के छह जेट गिराए थे ।
सूर्यकुमार ने कहा, ‘‘हमें ऐसा करने के लिए किसी ने नहीं कहा था।’’
उन्होंने कहा कि नकवी के बहिष्कार का फैसला मैदान पर ही किया गया था।
बीसीसीआई सचिव देवजीत सैकिया ने मुंबई में कहा, ‘‘भारत उस व्यक्ति से ट्रॉफी नहीं ले सकता जो हमारे देश के खिलाफ युद्ध छेड़ रहा है।’’
भारत के इनकार के बाद जब नकवी पोडियम से नीचे उतरे और निकास द्वार की ओर बढ़े तो सबको चौंकाते हुए एसीसी प्रतियोगिता स्टाफ ट्रॉफी लेकर उनके पीछे चला गया जिससे भारतीय खेमा हक्का-बक्का रह गया। पता चला है कि ट्रॉफी यहां एसीसी मुख्यालय में है।
सैकिया ने कहा कि भारतीय बोर्ड नवंबर में होने वाली आईसीसी की बैठक में नकवी के खिलाफ ‘बहुत कड़ा विरोध’ दर्ज कराएगा।
सैकिया ने कहा, ‘‘हमने ट्रॉफी लेने से इनकार करने का फैसला किया लेकिन इससे उस व्यक्ति को ट्रॉफी और पदक अपने साथ अपने होटल ले जाने की अनुमति नहीं मिल जाती ।’’
उन्होंने कहा ,‘‘ यह अप्रत्याशित है, बहुत बचकाना है और हम नवंबर के पहले सप्ताह में दुबई में होने वाली आगामी आईसीसी बैठक में आईसीसी के समक्ष बहुत कड़ा विरोध दर्ज कराएंगे।’’
नकवी ने अभी तक कल रात की घटनाओं पर कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय टीम को सोशल मीडिया पर दी गई बधाई पर पलटवार जरूर किया। मोदी ने इस जीत की तुलना मई में हुए सैन्य अभियान से की थी और नकवी ने कहा कि यह तुलना खेल भावना के ख़िलाफ है।
पाकिस्तानी कप्तान सलमान अली आगा ने भी भारतीय कप्तान की आलोचना करने से परहेज नहीं किया और उनके व्यवहार को खेल के प्रति अपमानजनक बताया।
मैच के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘मैं कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहता, लेकिन उन्होंने बहुत अपमानजनक व्यवहार किया है।’’
सलमान ने कहा ,‘‘ टूर्नामेंट शुरू होने से पहले और टूर्नामेंट से पहले प्रेस कांफ्रेंस में निजी तौर पर उसने मुझसे हाथ मिलाया । इसके बाद रैफरी की सुनवाई के दौरान भी । लेकिन दुनिया और कैमरों के सामने वे हाथ नहीं मिलाते ।’’
उन्होंने कहा,‘‘ मुझे यकीन है कि उन्हें जो निर्देश मिले हैं वह उसी का पालन कर रहे होंगे । लेकिन उसे तय करना होता तो वह मुझसे हाथ मिलाता ।’’
ट्रॉफी साथ ले जाने से पहले पुरस्कार वितरण मंच पर खड़े होने के एशियाई क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष मोहसिन नकवी के फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को ट्रॉफी इसलिये नहीं दी गई क्योंकि वे पीसीबी प्रमुख से लेना नहीं चाहते थे ।
उन्होंने कहा ,‘‘ जो कुछ भी आज हुआ वह पहले के तमाम घटनाक्रम का नतीजा था । एसीसी अध्यक्ष ही विजेता को ट्रॉफी देते हैं । अगर आप उनसे ट्रॉफी लेना नहीं चाहते तो आपको कैसे मिलेगी ।’’
टूर्नामेंट में भारत की भागीदारी की कड़ी आलोचना भी हुई थी। भारत के कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि में राष्ट्रीय गौरव की बजाय राजस्व के लालच का प्रदर्शन बताया था।
भारत की जीत के बावजूद यह आलोचना कम नहीं हुई है लेकिन कप्तान सूर्यकुमार ने कुछ आहत भावनाओं को शांत करने की कोशिश की।
उन्होंने घोषणा की कि वह टूर्नामेंट से मिलने वाली अपनी 28 लाख रुपये की मैच फीस भारतीय सशस्त्र बलों और पहलगाम पीड़ितों के परिवारों को दान करेंगे।
भाषा दुबई |
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