
बिग बी अमिताभ बच्चन ने हाल ही में अपने ब्लॉग में समय के बदलाव, लोगों के बदलते व्यवहार और यादों के महत्व पर अपनी गहरी सोच साझा करते हुए कहा कि समय के साथ दुनिया, हमारी आदतें, सोच और संस्कृति बदलती रहती है। जो लोग पहले थे, वे अब नहीं हैं और आज के लोग भी भविष्य में पुराने समय के रूप में याद किए जाएंगे।
बच्चन ने अपने ब्लॉग की शुरुआत में अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता की कुछ महत्वपूर्ण लाइनें साझा कीं और लिखा, "तुमने हमें पूज-पूज कर पत्थर कर डाला, वो जो हम पर जुमले कसते हैं, हमें जिंदा तो समझते हैं।"
उन्होंने आगे लिखा, "समय बदलता है, दुनिया बदलती है। नजरिए, आदतें बदलते हैं, संस्कृति बदलती है। लोग बदलते हैं। जो तब थे, अब नहीं हैं और जल्द ही जो 'अब' हैं, वे समय के साथ 'तब' के संदर्भ में होंगे।"
बिग बी ने अपने ब्लॉग में यह भी स्पष्ट किया कि अतीत की दुखभरी यादें सिर्फ यादें ही रह जाती हैं और उनका बार-बार सोचना व्यर्थ है। उन्होंने सुझाव दिया कि इन्हें सम्मान दें और उन पलों का आनंद लें, क्योंकि वे समय के साथ जीवन के अनुभवों का हिस्सा बन गए हैं।
उन्होंने आगे लिखते हुए कहा, "'तब' के विलाप आज के समय में गूंजते रहते हैं। वे बस एक याद बनकर रह जाएंगे। उन्हें यादों में ही रहने दें। उस पर विलाप करना आपके 'तब' से जुड़े शरीर पर हावी होगा। उसका सम्मान करें और उसका आनंद लें; वे 'तब' कितने आनंददायक थे।"
इसके आगे अमिताभ ने अपने पिता की एक और कविता की लाइनें साझा करते हुए लिखा, "पुरानों, पुरानी कहो, नयी सुनो। नयी, नयी कहो, पुरानी सुनो!"ॉ
उन्होंने यह भी लिखा कि उनके पिताजी की कविताएँ समय के साथ भी प्रासंगिक और अर्थपूर्ण बनी रहती हैं। सालों बाद भी उनकी कविताओं के शब्द अपने गहरे अर्थ और सत्यता के कारण लोगों के दिलों को छूते हैं। पुराने लोग नए विचारों को सुनें और नए लोग पुराने अनुभवों और विचारों को समझें, जिससे पीढ़ियों के बीच ज्ञान और अनुभव का आदान-प्रदान बना रहे।
| समयलाइव डेस्क मुंबई |
Tweet










