
उच्चतम न्यायालय में अपने अंतिम कार्यदिवस पर मिले भरपूर सम्मान से अभिभूत भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने मंगलवार को कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उनके उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति बी आर गवई सर्वोच्च न्यायालय के मूल्यों, मौलिक अधिकारों और बुनियादी संवैधानिक सिद्धांतों को कायम रखेंगे।
विदाई से जुड़ी इस रस्मी पीठ में निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति संजय कुमार शामिल थे। इस अवसर पर न्यायमूर्ति खन्ना को न केवल उनके योगदान के लिए, बल्कि उनके चाचा और शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच आर खन्ना की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए भी सराहा गया।
निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश ने 14 मई को प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालने जा रहे न्यायमूर्ति गवई को अपना ‘सबसे बड़ा सहयोगी’ कहा और उनके नेतृत्व और संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता पर विश्वास व्यक्त किया।
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति और प्रधान न्यायाधीश मनोनीत बी आर गवई के बारे में क्या कहें। हम एक ही वर्ष पदोन्नत हुए थे। यहां हम कॉलेजियम में हैं और हमने कई मौकों पर बातचीत की है। और मुझे कहना चाहिए कि वह मेरे सबसे बड़े सहयोगी रहे हैं। मुझे यकीन है कि आपके पास न्यायमूर्ति गवई के रूप में एक बेहतरीन प्रधान न्यायाधीश हैं जो संस्था के मूल्यों को, मौलिक अधिकारों को और हमारे बुनियादी सिद्धांतों को कायम रखेंगे जिन्हें हमने अपनाया और लागू किया है।’’
अपने विदाई भाषण में न्यायमूर्ति खन्ना ने न्यायपालिका में बिताए अपने समय को याद करते हुए आभार व्यक्त किया और कहा, ‘‘मैं अभिभूत हूं। मैं अपने साथ बहुत सारी यादें लेकर जा रहा हूं। यादें जो बहुत अच्छी हैं और जीवन भर मेरे साथ रहेंगी।’’
जनता का विश्वास जीतने में बार और पीठ की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘न्यायपालिका में केवल न्यायाधीश ही नहीं होते; इसमें बार भी शामिल है। आप व्यवस्था के सचेत रखवाले हैं।’’
न्यायमूर्ति खन्ना ने विभिन्न क्षेत्रों और पृष्ठभूमियों से आए न्यायाधीशों के बीच सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह की विविधता से समृद्ध विचार-विमर्श और अच्छे निर्णय संभव हो पाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस न्यायालय में एक और बात सबसे बड़ी है। हमारे पास देश के विभिन्न हिस्सों से आए न्यायाधीश हैं, और उनकी अलग-अलग विचार प्रक्रियाएं, अलग-अलग पृष्ठभूमि है। जब हम चर्चा करते हैं, तो कई समाधान खोजने में सक्षम होते हैं।’’
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि न्यायमूर्ति खन्ना ने ‘‘अपनी विरासत को अपनाया’’ और अपनी खुद की विरासत का निर्माण किया।
उन्होंने इसे विदाई नहीं बल्कि एक परिवर्तन की संज्ञा दी और कहा, ‘‘आज जो खत्म हो रहा है, वह एक कॅरियर नहीं है, बल्कि एक और कॅरियर की शुरुआत है।’’
न्यायमूर्ति गवई ने न्यायमूर्ति एच आर खन्ना के भतीजे के रूप में न्यायमूर्ति खन्ना की विरासत के महत्व को स्वीकार किया। न्यायमूर्ति एच आर खन्ना ने आपातकाल के दौरान संवैधानिक अधिकारों के लिए आवाज उठाई थी।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘ऐसे नाम की छाया में काम करना कोई छोटा बात नहीं है, लेकिन न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने उस विरासत को बनाए रखने से आगे बढ़कर अपनी विरासत बनाई।’’
उन्होंने कॉलेजियम में अपने संबंधों को भी याद किया और उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति से लेकर कॉलेजियम में विचार-विमर्श तक की न्यायमूर्ति खन्ना के साथ साझा यात्रा का उल्लेख किया।
न्यायमूर्ति संजय कुमार ने इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश के बारे में कहा, ‘‘वह नोट्स नहीं बनाते। सब कुछ: पृष्ठ संख्या, पैराग्राफ संख्या, हर सामग्री उनकी स्मृति में होती है।’’
वकीलों के साथ निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश के शांत और धैर्यपूर्ण व्यवहार पर प्रकाश डालते हुए, न्यायमूर्ति कुमार ने कहा, ‘‘यहां तक कि जब अधिवक्ता बिना तैयारी के आते थे, तब भी वे कभी अपना आपा नहीं खोते थे। इसके बजाय, वे विनम्रता से उन्हें अगली बार तैयार होकर आने के लिए कहते थे।’’
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि न्यायमूर्ति खन्ना ने अदालत के ‘मूल्यों में इजाफा’ किया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी प्रधान न्यायाधीश खन्ना की सराहना की।
भाषा नई दिल्ली |
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