
केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कथित रैगिंग के कारण हुई एक विद्यार्थी की मौत के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा निर्धारित सात लाख रुपये का मुआवजा छात्र के परिवार को देने के लिए अदालत की रजिस्ट्री में जमा करे।
यह निर्देश राज्य सरकार की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया जिसमें पूकोडे पशु चिकित्सा महाविद्यालय के छात्र सिद्धार्थन जे. एस. की मौत के मामले में आयोग द्वारा निर्धारित सात लाख रुपये के मुआवजे को चुनौती दी गई थी।
अदालत ने आदेश दिया कि यह राशि 10 दिन के भीतर जमा की जाए।
इसने आयोग के आदेश के खिलाफ याचिका दायर करने में हुई देरी पर भी सवाल उठाया और सरकार को निर्देश दिया कि वह देरी के कारणों को बताते हुए एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करे।
मानवाधिकार आयोग ने पहले राज्य सरकार को सिद्धार्थन के परिवार को मुआवजे के तौर पर सात लाख रुपये देने का निर्देश दिया था।
पुलिस ने बताया था कि 20 वर्षीय छात्र सिद्धार्थन पिछले साल फरवरी में केरल के वायनाड जिले में स्थित कॉलेज के छात्रावास के शैचालय में फंदे से लटका मिला था।
उसने कहा था कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की छात्र इकाई स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कार्यकर्ताओं सहित अन्य विद्यार्थियों ने कथित तौर पर सिद्धार्थन से रैगिंग की थी।
भाषा कोच्चि |
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