
वर्ष 2014 में पदभार ग्रहण करने के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समावेश, सम्मान और सभी के लिए विकास के मंत्र के साथ शासन को गति दी है।
अल्पसंख्यक कल्याण के प्रति उनके प्रशासन की नीतियां इस दर्शन को केवल शब्दों में ही नहीं, बल्कि परिवर्तनकारी कार्य में भी रेखांकित करती हैं। लेकिन मोदी सरकार भारत के अल्पसंख्यक समुदायों विशेष रूप से मुसलमानों को सशक्त बनाने के लिए अथक प्रयास करती है तो कुछ निहित स्वार्थी तत्व जनता को गुमराह करने और बहुत जरूरी सुधारों में बाधा डालने का प्रयास करते हैं।
हाल के वर्षो में सरकार ने समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए कई ऐतिहासिक पहल और योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें बाल विकास, महिला सशक्तिकरण, वृद्धावस्था सुरक्षा, वित्तीय समावेशन, अंतिम व्यक्ति तक परिवहन व संचार संपर्क, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसे क्षेत्रों के लिए विशेष केंद्रित प्रयास शामिल हैं। पोषण अभियान, पीएम आवास योजना, समग्र शिक्षा अभियान, पीएम मुद्रा योजना और जल जीवन मिशन जैसे कार्यक्रम इस समावेशी मॉडल के उदाहरण हैं, जो सार्वभौमिक और न्यायसंगत व्यवस्था के माध्यम से अल्पसंख्यकों सहित उन लोगों को समग्र सहायता प्रदान करते हैं, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
वक्फ अधिनियम में सुधार के लिए सरकार का हालिया कदम भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जो लंबे समय से लंबित था। मुस्लिम समुदाय के कल्याण के उद्देश्य के लिए बनाई गई वक्फ संपत्तियों में दशकों से जवाबदेही की कमी और अपारदर्शी प्रबंधन मौजूद है। नये संशोधन नियामक निरीक्षण, निष्पक्षता और पारदर्शिता लाकर इसे ठीक करने का प्रयास करते हैं। दुर्भाग्य से, इसने उन लोगों के सुनियोजित विरोध को जन्म दिया है, जो कभी यथास्थिति से लाभान्वित होते थे। उनकी बेचैनी समझी जा सकती है; लेकिन सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि विपक्ष किस तरह सांप्रदायिक बयानबाजी में उलझा रहता है और सरकार द्वारा जनता के हित में किए जा रहे ठोस प्रयासों को आसानी से नजरअंदाज कर देता है।
सरकार की गहरी प्रतिबद्धता को समझने के लिए 2025 की आगामी हज यात्रा के लिए सरकार के व्यावहारिक दृष्टिकोण को देखना ही काफी है। प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के समर्पित प्रयासों के तहत सऊदी अरब में भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए सम्मानजनक और निर्बाध व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। कुछ ही सप्ताह पहले रिजिजू ने भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए सम्मानजनक व्यवस्थाओं का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण करने और इसे सुनिश्चित करने के लिए सऊदी अरब का दौरा किया था।
यह दिखावा नहीं है। यह ऐसी सरकार का स्पष्ट प्रतिबिंब है, जो दिखावे से ज्यादा गरिमा को महत्त्व देती है। बहुत कम पिछली सरकारों ने ऐसे आध्यात्मिक महत्त्व के मामले में भारतीय मुसलमानों के लिए इस स्तर की भागीदारी और देखभाल का प्रदशर्न किया है।
इतना ही नहीं, पारदर्शिता, निष्पक्षता और समान अवसर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने हज 2023 से 500 सीटों के विवेकाधीन हज कोटे को समाप्त कर दिया है। यह कोटा, जो पहले मंत्रियों, राजनयिकों और नौकरशाहों सहित वीआईपी के लिए आरक्षित था, अक्सर पवित्र तीर्थयात्रा प्रक्रिया में विशेषाधिकार और पक्षपात की प्रतीक थी। इसे समाप्त करके, सरकार ने कड़ा संदेश दिया है: आम मुसलमानों का कल्याण और अधिकार मायने रखते हैं। यह सुधार केवल प्रशासनिक नहीं है। यह दृष्टिकोण में बदलाव है, संरक्षण की राजनीति से जनता के सशक्तिकरण की ओर कदम है। इसके अलावा, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, भारतीय हज समिति के माध्यम से मुख्य कोटे के तहत चालू वर्ष में 122,518 तीर्थयात्रियों की व्यवस्था का प्रबंधन कर रहा है। सऊदी दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
लोकतंत्र में रचनात्मक आलोचना बहुत जरूरी है। लेकिन राजनीतिक प्रभाव खोने के डर से सरकार के संतृप्ति-आधारित, समावेशी विकास दृष्टिकोण को तथ्यों के आधार पर पेश करने की बजाय गलत तरीके से पेश करना, उन समुदायों के लिए नुकसानदेह है, जिनका प्रतिनिधित्व करने का दावा आलोचक करते हैं। समय आ गया है कि चर्चा को राजनीतिक दिखावे से अलग करके जन कल्याण की ओर मोड़ दिया जाए। हमें भ्रामक आख्यानों को वास्तविक प्रगति पर हावी नहीं होने देना चाहिए। वक्फ सुधार कोई हमला नहीं है, बल्कि उन्नयन है। पंद्रह-सूत्री कार्यक्रम का पुनर्मूल्यांकन उपेक्षा के बारे में नहीं है, बल्कि तरीकों के सुधार से संबंधित है। सरकार की बजटीय प्राथमिकताएं, विकसित भारत तथा विकसित, समावेशी और दूरदर्शी भारत के दृष्टिकोण के प्रति स्पष्ट और निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
नया वक्फ अधिनियम किसी के राजनीतिक या व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बनाया गया है; इसका उद्देश्य आम मुसलमानों के व्यापक हितों की सेवा करना है। फिर भी, कुछ चुनिंदा समूह गलत धारणा फैला रहे हैं कि इस अधिनियम का उद्देश्य मुस्लिम संपत्तियों को जब्त करना है। ये समूह तथ्यों और आंकड़ों से कतराते हैं। वे वक्फ संपत्ति की आय में लगातार गिरावट को संबोधित करने में विफल रहे हैं, या स्वीकार करना नहीं चाहते कि वक्फ संपत्ति का क्षेत्रफल 2013 के 17 लाख एकड़ से बढ़ कर आज 39 लाख एकड़ हो गया है।
भारत का मुस्लिम समुदाय ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। एक रास्ता अपारदर्शी नेतृत्व और पुरानी व्यवस्था की ओर ले जाता है। दूसरा रास्ता उनके कल्याण के लिए पारदर्शी तरीके से काम करने वाली सरकार के साथ हाथ मिला कर आगे बढ़ने का है। ईमानदारी के संकेत हमारे चारों ओर हैं, नीति में, कार्य प्रदर्शन में और सभी तक पहुंच में। अब विकल्प समुदाय के पास है : जुड़ना, बढ़ना तथा विश्वास, सच्चाई और परिवर्तन के साथ अपने भविष्य को नया आकार देना।
(लेख में व्यक्त विचार निजी हैं)
हर्ष रंजन |
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