Shardiya Navratri 2024: मां दुर्गा का छठा स्वरुप है मां कात्यायनी, नवरात्रि के छठे दिन इन्ही की पूजा की जाती है।
मां कात्यायनी का जन्म ऋषि कात्यायन के घर हुआ था इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी की पूजा करने से व्यक्ति को काम, मोक्ष, धर्म और अर्थ इन चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है।
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शादरूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवद्यातिनी।।
प्रसिद्ध महर्षि कत के पुत्र ऋषि कात्य के गोत्र में महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। उन्होंने भगवती पराम्बा की घोर उपासना की और उनसे अपने घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने का आग्रह किया।
कहते हैं, महिषासुर का उत्पात बने पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों के तेज के अंश से देवी कात्यायनी महर्षि कात्यायन की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थीं।
मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं। ये ब्रजमण्डल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएं हैं। इनका दाहिना ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में है तथा नीचे वाला वर मुद्रा में है।
बायें ऊपर वाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं।
इनका वाहन सिंह है। इनकी पूजा के लिए साधक को मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित करना चाहिए।
समय डिजिटल डेस्क/सुरेन्द्र देशवाल |
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