विवाह पंचमी का त्योहार हर साल मार्गशीर्ष माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यही वो पावन दिन था जब प्रभु श्रीराम और मां जानकी विवाह के बंधन में बंधे थे।
भगवान राम और माता सीता को समर्पित ‘विवाह पंचमी’ हिंदू धर्म में बेहद खास पर्व है। मार्गशीर्ष या अगहन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को श्रीराम और माता सीता का विवाह हुआ था। इस दिन को सीता राम के वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है और भक्त इस खास दिन पर भगवान के युगल प्रतिमा की पूजा करते हैं।
हर साल अगहन महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाए जाने वाला पर्व विवाह पंचमी इस बार 6 दिसंबर, शुक्रवार को पड़ा है। एक मत कहता है कि इस दिन विवाह करने से जोड़े को समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। तो, कुछ का मानना है कि इस दिन विवाह होने से जिंदगी में सुख सौभाग्य का प्रवेश होता है।
काशी के पंडित रामानंद पाण्डेय के अनुसार, “इस दिन पूजा करने से वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां खत्म हो जाती हैं और गृहस्थी में सुख-शांति आती है। विवाह पंचमी के दिन उपवास रखना चाहिए और भक्ति भाव के साथ भगवान राम और माता सीता की पूजा करनी चाहिए। पवित्र नदी में स्नान करना उत्तम होता है और साथ ही इस दिन गरीबों को दान देने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है।“
जानकारी के अनुसार जिन लोगों की शादी तय होने में अड़चन आ रही है और उनके विवाह नहीं हो पा रही है, उन्हें विवाह पंचमी के दिन जरूर पूजा पाठ करनी चाहिए, जिससे उनके विवाह होने में आ रही बाधाएं खत्म हो जाती हैं और सही जीवनसाथी मिलता है।
काशी के ज्योतिषाचार्य रत्नेश त्रिपाठी ने बताया, " विवाह पंचमी के दिन भगवान राम और माता सीता के साथ ही लक्ष्मी-नारायण की पूजा करना भी उत्तम होता है। विवाह की चाह रखने वाले कुंवारे लड़के-लड़कियों को इस दिन हल्दी का टीका लगाना चाहिए और देवी मंदिर में सुहाग की चीजें चढ़ानी चाहिए।"
आईएएनएस नई दिल्ली |
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